
अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव आयोजन भव्यता और विश्व रिकॉर्ड दोनों के लिहाज़ से ऐतिहासिक रहा। भगवान श्रीराम की नगरी सरयू तट पर एक साथ 26 लाख से अधिक दीपों की रोशनी ने पूरा वातावरण आलोकित कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार के संरक्षण में हुए इस कार्यक्रम ने न सिर्फ आस्था की ज्योति जगाई बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने कहा कि यह दीपोत्सव “500 वर्षों के अंधकार पर विश्वास और सत्य की विजय” का प्रतीक है। अयोध्या के 56 घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन का यह दृश्य इतना अद्भुत था कि लोगों ने इसे “धरती पर स्वर्ग” बताया। इस अवसर पर सरयू आरती भी विशेष आकर्षण का केंद्र रही, जिसमें एक साथ 2,128 लोगों ने आरती कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
दीपोत्सव की इस विशाल व्यवस्था के पीछे आर्थिक गणना भी कम दिलचस्प नहीं है। मिट्टी के ये लाखों दीप स्थानीय कुम्हारों और शिल्पकारों ने बनाए, जिससे उन्हें भारी मात्रा में रोजगार और आय का अवसर मिला। इसके अलावा, घी, तेल, बाती, सजावट और पैकेजिंग से जुड़े छोटे कारोबारियों को भी अच्छा मुनाफा हुआ। इस तरह दीपोत्सव न केवल सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक बन गया।
कार्यक्रम में लगभग 32,000 स्वयंसेवकों ने भाग लेकर दीप जलाने और आयोजन की व्यवस्था संभाली। प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता के लिए विशेष इंतज़ाम किए, ताकि दुनिया के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
अयोध्या दीपोत्सव अब केवल धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान, पर्यटन प्रोत्साहन और स्थानीय रोजगार का संगम बन चुका है। इस आयोजन ने दिखा दिया कि परंपरा और प्रगति का संगम कैसे समाज में नई रोशनी ला सकता है।



