उत्तरी भारत की राजनीतिक हलचलों में एक और बदलाव देखने को मिला है, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान को पुनः Y श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। यह सुरक्षा बहाली ऐसे समय में हुई है जब वे करीब 23 महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए हैं। उनके प्रति सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती गई है, और उनके आवास पर गार्ड व गनर तैनात कर दिए गए हैं।
पहले, जब आजम खान को दोषी ठहराया गया था, तो उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी और सुरक्षा कवच को वापस ले लिया गया था। लेकिन अब नया आदेश जारी हुआ है कि उन्हें पुनः Y श्रेणी सुरक्षा दी जाए। यह कदम राजनीतिक एवं सुरक्षा संतुलन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकारी दस्तावेज और प्रस्तावनाएँ बताते हैं कि इस सुरक्षा श्रेणी के अधीन उन्हें गार्ड एवं गनर तैनात किया गया है, जिनका काम उनकी व्यक्तिगत रक्षा सुनिश्चित करना है। इस निर्णय को एक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है कि सरकार इस विषय को हल्के में नहीं ले रही है और उन्हें गंभीरता से सोचते हुए कार्रवाई की जा रही है।
राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की सुरक्षा बहाल करना केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक सन्देश का भी हिस्सा है। आजम खान की वापसी और सक्रियता राजनीतिक भूगोल को फिर से हिला सकती है।
बहरहाल, इस घटना की पृष्ठभूमि में यह भी देखना ज़रूरी है कि पहले उनके Y श्रेणी सुरक्षा को क्यों वापस लिया गया था। 2023 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सुरक्षा कवच को समाप्त कर दिया था, यह तर्क देते हुए कि इसे बनाए रखने का औचित्य नहीं रह गया है। उस समय गार्ड और गनर उनके आवास से हटा दिए गए थे।
लेकिन राजनीतिक दबाव, पार्टी दवाओं और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र, इस सुरक्षा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कदम उठाया गया। यह नया आदेश संभवतः प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की समीक्षा तथा मांगों पर आधारित होगा।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि आजम खान की राजनीतिक वापसी और सक्रिय भूमिका अब और अधिक विवादास्पद हो सकती है। सुरक्षा बहाली ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं — राजनीतिक शत्रुता, कानूनी चुनौतियाँ, और सुरक्षा-नीति का संतुलन — इन सब पर आगे क्या होगा, यह आने वाला समय बताएगा।