मुंबई और दिल्ली में चल रही हाई-प्रोफाइल जासूसी और गैंगस्टर ड्रामे में एक नया मोड़ आया है: लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई को अमेरिका से निर्वासित कर भारत लाया गया है और फिर एन-इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें गिरफ्तार कर 11 दिन की कस्टडी में भेज दिया है।
यह गिरफ्तारी बाबा सिद्दिकी हत्या मामले की जांच में एक अहम घटक मानी जा रही है। सिद्दिकी, मुम्बई में अपने बेटे जीशान सिद्दिकी के ऑफ़िस के बाहर 12 अक्टूबर 2024 को गोली मारे गए थे। पुलिस आरोप लगा रही है कि बिश्नोई गिरोह ने हत्या की साजिश रची थी।
अनमोल बिश्नोई पर यह आरोप है कि उसने न केवल हत्या की रसूख़दार कमान संभाली थी, बल्कि झड़पों को अंजाम देने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट भी दिया था। मुंबई पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में यह कहा गया है कि उन्होंने यह हत्या “डर का माहौल” बनाने और अपने अपराधी नेटवर्क की शक्ति दिखाने के मकसद से कराई थी।
वहीं जीशान अख़्तर (Zeeshan Akhtar) नामक एक अन्य आरोपित भी सामने आया है, जिसने स्वीकार किया है कि उन्होंने बाबा सिद्दिकी की हत्या लॉरेंस बिश्नोई और अनमोल की शह पर अंजाम दी थी। अख़्तर ने यह दावा करते हुए कहा है कि बाद में बिश्नोई भाइयों ने उसे धोखा दिया, और अब वह उनसे कट गया है। उन्होंने एक वीडियो संदेश भी जारी किया है, जिसमें वे बिश्नोई भाइयों को “गद्दार” कहकर प्रतिशोध की धमकी दे रहे हैं।
अनमोल की गिरफ्तार के साथ-साथ यह मामला देखा जा रहा है कि भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ घरेलू अपराध से लेकर अंतरराष्ट्रीय गैंग नेटवर्क तक की जाँच में कितनी गंभीर हैं। अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी ने अनमोल के निर्वासन की जानकारी जीशान सिद्दिकी को ई-मेल के ज़रिए दी थी, जिससे स्पष्ट होता है कि एजेंसियों के बीच सहयोग भी बढ़ा है।
यह मामला सिर्फ एक हत्या का ही नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर गिरोहों की सत्ता-ब斗ख़्त, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, और अंतरराष्ट्रीय अपराध कारोबार की जटिल दुनिया को उजागर करता है। एनआईए की जाँच, अदालत में कस्टडी की कार्रवाई और गवाहों के बयानों के बाद अब यह देखना होगा कि न्याय तक पहुंच कितनी पारदर्शी होगी और दोषियों को सजा मिलेगी या नहीं।
