गुजरात के भावनगर शहर में बुधवार सुबह एक बड़े अस्पताल-कॉम्प्लेक्स में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। सूचना के मुताबिक, आग की शुरुआत कॉम्प्लेक्स की पैथोलॉजी लैब से हुई, जहाँ एक ब्रेज़ियर में शुरुआत हुई आग धीरे-धीरे बिल्डिंग के अन्य हिस्सों में फैल गई — और उसी कॉम्प्लेक्स में बने 3-4 अस्पताल और अन्य क्लीनिक भी आग की चपेट में आ गए।
बिल्डिंग में उस समय दर्जनों मरीज भर्ती थे — जिसमें कई नवजात और छोटे बच्चे भी शामिल थे। स्थानीय लोगों की तत्परता के चलते, फायर विभाग और पुलिस के आने से पहले ही कई लोगों को चादर में लपेटकर खिड़कियों और शीशों के रास्ते अस्पताल से बाहर निकालना शुरू कर दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 15-20 बच्चों के साथ कुल 19 मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। किसी के हताहत होने की खबर अभी तक नहीं है।
घटना के बाद फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत मौके पर पहुँची — लगभग पांच फायर टेंडर और 50 से अधिक कर्मियों ने जलती इमारत में प्रवेश किया और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। सभी मरीजों को नजदीकी सरकारी अस्पताल (Sir T Medical College Hospital) में शिफ्ट किया गया है। राहत की बात यह है कि बड़े हादसे के बावजूद जान-माल की बड़ी हानि टल गई।
हालाँकि फिलहाल आग कैसे लगी — इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाईं हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट बताएँ कि आग के लिए प्रयुक्त ब्रेज़ियर से आग फैली — लेकिन यह जानना अभी बाकी है कि सुरक्षा मानकों का कितना पालन हुआ था। विशेषज्ञों एवं स्थानीय प्रशासन की टीम घटना की गहन जांच में जुट गई है।
इस घटना ने एक बार फिर इस बात की ओर ध्यान आकर्षित किया है कि अस्पतालों व मेडिकल कॉम्प्लेक्स में अग्नि सुरक्षा और बचाव तंत्र कितने महत्वपूर्ण हैं — विशेष रूप से जब वहाँ नवजात और गंभीर मरीज भर्ती हों। यदि समय पर मदद न मिली होती, तो भयावह परिणाम हो सकते थे।
