
सीट-बांट पर उठे विवाद, NDA और महागठबंधन की रणनीतियाँ गरम
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तेज रफ्तार चर्चा अब सीट-बँटवारे की जटिलताओं और गठबंधन समीकरणों पर पहुंच चुकी है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने हित साधने की कोशिशों में हैं, लेकिन सीटों की बँटवारे की प्रक्रिया में अड़चनें और दावपेंच भी कम नहीं हैं।
NDA के अंदर अपेक्षित सामंजस्य दिखने लगा है। भाजपा, JD(U) और अन्य सहयोगी दलों के बीच सूत्र बताते हैं कि अधिकांश सीटें भाजपा और JD(U) के बीच लगभग बराबर विभाजित की जा सकती हैं, जबकि शेष सीटें सहयोगी दलों को आवंटित की जाएँगी। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति जल्दी ही इसकी अंतिम रूपरेखा घोषित कर सकती है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को यह अधिकार दिया गया है कि वे स्वयं तय करें कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी तथा किस-किस क्षेत्र में उम्मीदवार उतारेगी। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि NDA के अंदर उनकी भूमिका और स्वायत्तता बढ़ रही है।
दूसरी ओर, महागठबंधन के भीतर सीटों को लेकर मतभेद देखने को मिल रहे हैं। RJD प्रमुख तेजस्वी यादव ने जोर देकर कहा है कि उनकी पार्टी को अधिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, और उन्होंने हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देने का बड़ा वादा किया है। यह वादा NDA द्वारा कटाक्ष और आलोचना की कड़ी परीक्षा पर खड़ा है।
चुनावी रणभूमि में यह भी देखा जा रहा है कि अन्य दल जैसे कि कांग्रेस, वामपंथी दल और नये खिलाड़ी जैसे प्रभार्थ किशोर का Jan Suraaj भी अपनी ज़मीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये दल विरोधी गठबंधन की भितर सीट-मांगों और रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
मतदान तिथि करीब होने के साथ (6 और 11 नवंबर), समय की कमी भी सीट-समझौतों को अंतिम रूप देने में दबाव बना रही है। यदि गठबंधन समय रहते साझा सूची नहीं बना पाते हैं, तो उम्मीदवारों की घोषणा और प्रचार रणनीति दोनों पर असर होगा।
इस तरह, बिहार के चुनावी परिदृश्य में सीटों की बँटवारे की राजनैतिक रस्साकशी किसी निर्णायक मोड़ की ओर है — इस संघर्ष का परिणाम गठबंधन की ताकत, नेताओं की मांग और जनता की अपेक्षाओं का सामंजस्य तय करेगा।