
आज Bihar की राजनीतिक दिशा तय करने वाला दूसरा एवं अंतिम चरण मतदान आयोजित हुआ, जिसमें लगभग 3.70 करोड़ मतदाता 122 विधानसभा सीटों पर अपनी मुहर लगाने निकल पड़े।
दोपहर 1 बजे तक मतदान का प्रतिशत 47.62 % दर्ज हुआ था, जो पहले फेज के उसी समय से बेहतर था। शाम पाँच बजे तक यह आंकड़ा 67.14 % तक पहुँच गया — इससे यह संकेत मिलता है कि इस चरण में मतदाता दृढ़ता से मतदान प्रक्रिया में शामिल हुए।
यह 122 सीटों का रण – जिनमें 101 जनरल, 19 अनुसूचित जाति (SC) एवं 2 अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षित हैं – इस बार विशेष रूप से सीमांचल और चंपारण जैसे नेपाल से सटे इलाकों में हुआ। यह क्षेत्र आबादी-ढाँचे और सामाजिक समीकरणों में मायने रखता है, इसलिए यहाँ का मतदान प्रतिद्वंद्वी गठबंधनों के लिए अहम माना जा रहा है।
महत्वपूर्ण बिंदु
इस चरण में कुल 45,399 मतदान केंद्र थे, जिनमें से 40,073 ग्रामीण केंद्र हैं।
इस मतदान में शामिल थे राज्य के कई मंत्री, वरिष्ठ नेता तथा राजनीतिक दलों के दिग्गज उम्मीदवार। इसका मतलब यह है कि गठबंधन-परिषदों की रणनीति और उनकी स्वीकार्यता दोनों परीक्षण के दौर से गुजर रही हैं।
मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला — जैसे किशनगंज में सुबह-सुबह लंबी कतारें, 110 वर्षीय मतदाता खाट पर मतदान करने पहुँचीं, एक किसान भैंस पर सवार होकर मतदान केंद्र तक गया।
हालांकि, कहीं-कहीं मतदान बहिष्कार की घटनाएँ भी सामने आईं — उदाहरण के लिए रोहतास जिले के कोनकी गाँव में बूथ पर एक भी मतदाता नहीं पहुँचा। ग्रामीणों ने मूलभूत सुविधाओं की कमी को कारण बताया।
इस दौरान सुरक्षा-प्रबंध को कड़ाई से देखा गया — राज्यभर में लगभग 4 लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात थे ताकि मतदान निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण हो सके।
राजनीतिक विवाद भी जारी रहे — कुछ क्षेत्रों में मतदान के दौरान पार्टी समर्थकों के बीच झड़प हुई, और एक संगठन ने सुरक्षा बलों पर पक्षपात का आरोप लगाया।
विश्लेषण एवं संभावित प्रभाव
यह चरण इसलिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि सीमांचल-चंपारण क्षेत्र में मुस्लिम, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों की जनसंख्या अधिक है और दोनों प्रमुख गठबंधन (NDA तथा Mahagathbandhan) इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।
उच्च मतदान प्रतिशत से यह संकेत मिलता है कि मतदाता सक्रिय हैं और चुनाव को सिर्फ रस्मी प्रक्रिया नहीं बल्कि वास्तविक अवसर मानकर कर रहे हैं। यदि यह प्रतिशत और ऊपर गया, तो यह पिछले रिकॉर्ड को पार करने का संकेत हो सकता है — उदाहरण स्वरूप 2000 में विधानसभा में 62.57 % मतदान का आंकड़ा था।
मतदान समर्थन-तंत्रकारियों, सुरक्षा व्यवस्था, बूथ-स्तर की व्यवस्थाओं तथा मतदाता जागरूकता का समन्वय इस बार बेहतर दिख रहा है, लेकिन एक-दो जगहों पर बहिष्कार तथा विवाद इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सामाजिक-आर्थिक मुद्दे अभी भी बड़े प्रकरण बने हुए हैं।
अगर महागठबंधन को सीमांचल-क्षेत्र में मजबूत रूख मिलता है, तो यह एनडीए के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि इस चरण में कई सीटें सीधे दोनों गठबंधनों के बीच टकराव की स्थिति में थीं। इसके विपरीत, एनडीए को उच्च मतदान से सकारात्मक संकेत मिलेगा कि उनका जनाधार अभी भी गतिशील है।



