
बिहार में महिलाओं के नाम पर राजनीतिक बहस फिर गरमा गई है। “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” में विपक्ष और सत्ता पक्ष की महिला नेताओं ने आमने‑सामने बहस की। एक ओर RJD की प्रियंका भारती ने सरकार पर महिलाओं को कर्ज और चुनावी लालच में फँसाने का आरोप लगाया, वहीं दूसरी ओर BJP की अनामिका पटेल और JDU की अनुप्रिया यादव ने इस योजना को महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का अवसर बताया।
प्रियंका भारती ने कहा कि योजनाएँ सिर्फ घोषणाएँ रह गई हैं, और सरकार ने महिलाओं को कर्ज में डुबोया है। उन्होंने यह तंज भी कसा कि “डेनमार्क की राष्ट्रपति ने सदियों पुराने कांड पर माफी मांगी थी, अब नीतीश कुमार कब माफी मांगेंगे?”
अनामिका पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पहले ज़रूरी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज अस्पतालों में सफाई, आंगनवाड़ी जैसी सेवाएँ गाँव‑गाँव की महिलाएँ दे रही हैं, और यह स्वतंत्र रोजगार का उदाहरण है।
जेडीयू की अनुप्रिया यादव ने योजना को सिर्फ दस हजार रुपए देने वाला कदम न कह कर, यह बताया कि यह महिलाओं की आत्मनिर्भरता की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि पहले वह महिलाएँ बाहर नहीं निकल पाती थीं, लेकिन अब उन्हें आत्मविश्वास मिला है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मधु बाला ने कहा कि असली सशक्तिकरण तभी होगा जब महिलाओं को स्किल ट्रेनिंग, मार्गदर्शन और मार्केट से जोड़ा जाए — न कि सिर्फ चुनावी समय पर नकदी वितरण किया जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस योजना के ज़रिए त्योहारों से पहले महिलाओं को लुभाने की रणनीति अपना रही है।
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, नकदी वितरण के मायने और सचाई — ये सभी मुद्दे इस बहस में सामने आए।



