बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को राहत देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं-सहायता भत्ता योजना का दायरा बढ़ा दिया है। इस योजना के तहत पहले सिर्फ इंटरमीडिएट पास बेरोजगार युवाओं को सहायता दी जाती थी, लेकिन अब स्नातक (Graduate) बेरोजगार युवाओं को भी शामिल कर लिया गया है। इस निर्णय के अनुसार, 20 से 25 वर्ष आयु वर्ग के ऐसे युवा जो न तो पढ़ाई कर रहे हैं और न ही किसी नौकरी या स्वरोजगार से जुड़े हैं, उन्हें ₹1,000 प्रतिमाह का आर्थिक भत्ता दिया जाएगा।
सरकार का कहना है कि यह राशि अधिकतम दो वर्षों (24 महीने) तक दी जाएगी। इसका उद्देश्य यह है कि बेरोजगार युवा इस अवधि में नौकरी की तलाश, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या कौशल प्रशिक्षण में हिस्सा ले सकें।
योजना का उद्देश्य
नीतीश कुमार ने इस घोषणा को अपने “सात निश्चय कार्यक्रम” का हिस्सा बताते हुए कहा कि बिहार सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें बेहतर अवसर दिलाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना सिर्फ “पैसा बांटने” तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे युवा वर्ग को आर्थिक सहारा मिलेगा और वे बिना दबाव के अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
पात्रता शर्तें
इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ पात्रता शर्तें तय की गई हैं—
- 
आवेदक की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
 - 
आवेदक स्नातक पास होना चाहिए।
 - 
वह न तो पढ़ाई कर रहा हो, न ही किसी नौकरी में हो और न ही स्वरोजगार से जुड़ा हो।
 - 
परिवार की आय और अन्य विवरण भी आवेदन प्रक्रिया में ध्यान में रखे जाएंगे।
 
युवाओं में उत्साह
इस घोषणा के बाद बिहार के युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों ने कहा कि उन्हें अब आर्थिक तनाव से राहत मिलेगी। छोटे कस्बों और गांवों के युवा अक्सर किताबें, कोचिंग और रहने-खाने का खर्च उठाने में मुश्किल महसूस करते हैं। ऐसे में ₹1,000 प्रतिमाह का भत्ता उनके लिए एक सहारा साबित होगा।
राजनीतिक दृष्टि से महत्व
बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र इस फैसले को राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है। बेरोजगारी लंबे समय से राज्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में रही है और विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार की यह पहल युवाओं को सीधे साधने की कोशिश मानी जा रही है।
चुनौतियाँ और आलोचना
हालांकि, योजना पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि ₹1,000 की राशि युवाओं के लिए बहुत कम है और इससे उनका भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। साथ ही, यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार सिर्फ चुनावी लाभ के लिए इस तरह की योजनाएँ ला रही है। दूसरी ओर, आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को इस योजना के लिए बड़ा बजट अलग रखना होगा, क्योंकि अनुमान के मुताबिक लाखों युवा इस योजना से लाभ उठाना चाहेंगे।
