
बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार शाम एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया, जब स्थानीय नेता और बाहुबली दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना विधानसभा चुनाव 2025 के सियासी माहौल को और गर्मा देने वाली साबित हुई है।
मोकामा का यह इलाका हमेशा से जातिगत और बाहुबल राजनीति के लिए जाना जाता रहा है। दुलारचंद यादव लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे और इस बार उन्होंने जन‑सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में चुनावी प्रचार किया। यह कदम अनंत सिंह और उनके समर्थकों के लिए सीधे चुनौती के रूप में देखा जा रहा था।
घटना के समय दुलारचंद यादव चुनावी सभा में मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, हमलावर ने अचानक उन पर गोली चला दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के तुरंत बाद इलाके में अफरातफरी मच गई और स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में हत्या के पीछे पुरानी रंजिश और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को मुख्य कारण माना है। अनंत सिंह और उनके कुछ करीबी नेताओं के खिलाफ हत्या और उकसावे के आरोप में केस दर्ज किया गया है। मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया।
इस हत्याकांड ने मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल को बेहद संवेदनशील बना दिया है। स्थानीय लोग डर और चिंता में हैं, और कई जगहों पर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। राजनीतिक दल भी इस घटना का फायदा उठाने और अपने प्रचार अभियान को तेज करने की कोशिश में हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना बिहार की राजनीति में बाहुबली और जातिगत समीकरणों की जटिलता को फिर से उजागर करती है। आगामी विधानसभा चुनाव में इस तरह की घटनाओं से मतदाताओं के मन में असुरक्षा का भाव भी बन सकता है, जिससे चुनावी रणनीति प्रभावित होगी।
बिहार में चुनावी हिंसा और बाहुबल राजनीति पिछले कई दशकों से एक चुनौती रही है। मोकामा की घटना यह याद दिलाती है कि चुनाव सिर्फ मतदाताओं की पसंद का मामला नहीं है, बल्कि राजनीतिक ताकतों और सामाजिक समीकरणों के बीच टकराव का भी मैदान बन जाता है।
 







