
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में दिए एक बयान में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीमा पर संघर्ष विराम (Ceasefire) अब सिर्फ कागज़ी रह गया है, और भारत ने संघर्ष की सीमाएं पार कर दी हैं।
बिलावल ने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि उसने कश्मीर में सैन्य कार्रवाई को बढ़ावा दिया है और कूटनीतिक स्तर पर मुसलमानों को बदनाम करने का प्रयास किया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।
📌 मुख्य बिंदु:
- सीमा संघर्ष पर चिंता:
बिलावल ने कहा कि भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाने के बाद सीमा पर संघर्ष विराम की कोई गारंटी नहीं बची है। उन्होंने इसे परमाणु शक्तियों के बीच “सैन्य संतुलन के खतरे” के रूप में बताया। - आतंकवाद पर सहयोग की पेशकश:
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत को RAW और ISI के बीच खुफिया जानकारी साझा करनी चाहिए, ताकि चरमपंथ और आतंकवाद से मिलकर लड़ा जा सके। - कश्मीर मुद्दे पर बयान:
भुट्टो ने स्वीकार किया कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक मुहिम सफल नहीं रही, इसलिए अब प्रत्यक्ष संवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर देना चाहिए। - धार्मिक भेदभाव के आरोप:
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि भारत सरकार मुसलमानों को बदनाम कर रही है, लेकिन कई पत्रकारों और प्रतिनिधियों ने इस दावे पर सवाल उठाए और तर्क दिया कि भारत में मुस्लिम अधिकारी भी उच्च पदों पर हैं। - डिप्लोमैटिक कोशिशें:
बिलावल इस समय एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की यात्रा पर हैं, जहां वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के पक्ष को रखने का प्रयास कर रहे हैं।
🧭 निष्कर्ष:
बिलावल भुट्टो ज़रदारी के बयान से स्पष्ट है कि पाकिस्तान अब भारत के साथ सीधी टकराव नीति से हटकर संवाद और आतंकवाद-विरोधी सहयोग की ओर बढ़ना चाहता है। वहीं, भारत की सैन्य कार्रवाई और कश्मीर को लेकर उसकी रणनीति पर पाकिस्तान की कूटनीतिक असहमति बनी हुई है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी रणनीतिक कार्रवाई की और पाकिस्तान के भीतर आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।