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कनाडा ने बिश्नोई गैंग को आतंकवादी इकाई घोषित किया

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कनाडा सरकार ने आज एक अहम और विवादास्पद कदम उठाते हुए लॉरेंस बिश्नोई गैंग को एक “आतंकवादी इकाई (terrorist entity)” के रूप में सूचीबद्ध किया। यह निर्णय इस बात का संकेत माना जा रहा है कि इस गैंग की गतिविधियाँ सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसके नेटवर्क और प्रभाव की चिंता अब कई देशों के लिए महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है।

कनाडाई सरकार की आधिकारिक घोषणा में कहा गया है कि बिश्नोई गैंग ने भय और दहशत का माहौल बनाने में भूमिका निभाई है और इस तरह की गतिविधियाँ सामाजिक शांति व सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। इस सूचीबद्धता (designation) से यह संभव होगा कि कनाडा में इस गैंग की संपत्तियों को जब्त किया जाएँ, उनके वित्तीय लेन-देनों पर प्रतिबंध लगें और सुरक्षा एजेंसियों को कठोर कानून लागू करने का अधिकार मिले। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गैंग की कार्रवाइयाँ विशेष रूप से उन क्षेत्रों में देखी गई हैं जहाँ भारतीय डायस्पोरा समुदाय अधिक है।

यह कदम कनाडा के भीतर राजनीतिक अधिकारियों और प्रांतीय सरकारों की मांगों के दबाव में आया है। अल्बर्टा की प्रांतीय सरकार ने पहले ही संघीय सरकार से मांग की थी कि बिश्नोई गैंग को आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी जाए ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को और सशक्त साधन प्राप्त हो सकें। इस प्रस्ताव का समर्थन ब्रिटिश कोलंबिया और अन्य क्षेत्रीय नेताओं ने भी किया है।

इस निर्णय की पृष्ठभूमि में भारत-कनाडा संबंधों में पहले से ही खिंचाव है, विशेष रूप से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े आरोपों और भारत के एजेंटों की भूमिका पर कनाडाई जांचों के बाद। कनाडा की रॉयल माउंटेड पुलिस (RCMP) ने यह आशंका जताई है कि भारतीय सरकार एजेंटों के ज़रिए संगठित अपराध और गैंगस्टर नेटवर्कों का इस्तेमाल कर दक्षिण एशियाई समुदाय में सक्रिय कट्टरपंथी या अलगाववादी समूहों को निशाना बना सकती है।

लॉरेंस बिश्नोई, जो आज भारत में विभिन्न अपराधिक मामलों का आरोपित है और जेल में बंद है, का नाम लंबे समय से गैंगस्टर नेटवर्क के नेता के रूप में सामने आता रहा है। उसके सहयोगी गोल्डी ब्रर का नाम भी अक्सर बिश्नोई गैंग से जुड़े मामलों में लिया जाता है, जिन पर हत्या, वसूली और ड्रग्स व्यापार जैसी गंभीर अपराधिक गतिविधियों का आरोप है।

इस सूचीबद्धता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है — यह दिखाता है कि आबादी के बीच सक्रिय भारतीय गैंगस्टर नेटवर्कों की पहुंच अब सीमाएँ पार कर चुकी है। इसके साथ ही, यह भारत सरकार और कनाडा सरकार के बीच कूटनीतिक संवेदनशीलता और कानून प्रवर्तन सहयोग की चुनौतियों को और बढ़ाएगा। इस कदम के बाद भारत पर दबाव बढ़ेगा कि वह उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करे जिनके नाम कनाडा या अन्य देशों द्वारा साझा किए गए हैं।

हालाँकि, इस निर्णय के बाद कई कानूनी और राजनीतिक प्रश्न भी उठेंगे — जैसे कि भारत की संप्रभुता और विदेशी व्यक्तियों या संगठनों को कैसे मुकदमेबाज किया जाए, न्याय की प्रक्रिया कैसे पारदर्शी हो सके, और स्थानीय कानून व मानवाधिकारों का संरक्षण कैसे सुनिश्चित किया जाए।

अगले दिनों यह देखना होगा कि भारत की प्रतिक्रिया क्या होती है, दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ कैसे तालमेल बैठाती हैं और क्या इस कदम से अपराध एवं उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी लड़ाई में एक नया अध्याय खुल पाएगा।

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