
बीजेपी ने संसद सत्र के बीच तृणमूल सांसद किर्ति आजाद पर ‘वेपिंग’ का जोरदार आरोप लगाते हुए जारी किया वीडियो
नई दिल्ली — सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा के कार्यकाल के दौरान एक नया राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मामला खड़ा कर दिया है, जिसमें उसने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कि्धिति आजाद (Kirti Azad) पर संसद के अंदर ‘वेपिंग’ (ई-सिगरेट का उपयोग) करने का गंभीर आरोप लगाया है। बीजेपी के सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि आजाद को सत्र के दौरान ई-सिगरेट छिपाकर हाथ में लिए और उसे मुंह की ओर ले जाते देखा गया, जो कि न केवल संसदीय मर्यादा का उल्लंघन है बल्कि एक गैरकानूनी उपकरण का उपयोग भी माना जा सकता है।
इससे पहले बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने 11 दिसंबर को लोकसभा में बिना नाम लिए एक लिखित शिकायत भी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक तृणमूल सांसद ने संसद के भीतर ई-सिगरेट का उपयोग किया है और इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। यह मामला संसद के पवित्र कक्ष में नियमों और आचार संहिता की कथित अवहेलना से जुड़ा है, क्योंकि ई-सिगरेट पर भारत में पहले से ही पूरी तरह प्रतिबंध (ban) है और उसके उपयोग, बिक्री व भंडारण पर कानूनी रोक है।
अमित मालवीय ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “जो तृणमूल कांग्रेस सांसद पर BJP सांसद अनुराग ठाकुर ने संसद में वेपिंग का आरोप लगाया था वह कोई और नहीं बल्कि किर्ति आजाद हैं। ऐसे लोगों के लिए नियम और कानून का कोई मतलब नहीं है। सिर्फ सोचिए — House के अंदर अपनी हथेली में ई-सिगरेट छिपाकर रखते हुए वेपिंग करना।” उन्होंने इसे “पूरी तरह अस्वीकार्य” (entirely unacceptable) बताया और टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपने सांसद के व्यवहार पर स्पष्टीकरण देने की मांग की है।
बीजेपी का कहना है कि संसद जैसे लोकतांत्रिक मंच पर नियमों का उल्लंघन न तो असाधारण है और न ही अनुचित व्यवहार की अनुमति दी जानी चाहिए। मालवीय ने आगे कहा कि अगर किसी सांसद का व्यवहार House के आचार व्यावहारिक नियमों के अनुरूप नहीं है, तो उसके खिलाफ जांच और आवश्यक कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि “संसद के भीतर किसी भी प्रतिबंधित उपकरण का खुलकर उपयोग करना पारदर्शिता और मर्यादा के खिलाफ है।”
वहीं, किृति आजाद ने इस मामले पर जब पत्रकारों से बात की, तो उन्होंने कहा कि आरोप को साबित करना होगा और किसी भी सदस्य के खिलाफ आरोप तब तक ऐतिहासिक माना जा सकता है जब तक सबूत नहीं पेश किए जाते। उन्होंने कहा कि नियम और प्रक्रिया दोनों का सम्मान होना चाहिए और गैरकानूनी आरोपों के खिलाफ उचित प्रतिवाद भी किया जाएगा।
यह विवाद तब उभरा है जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, और सदन के भीतर कई महत्वपूर्ण कानूनों तथा मुद्दों पर बहस जारी है। इस मामले पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने आश्वासन दिया है कि यदि मामला लिखित रूप में दर्ज होता है तो House की नियमावली और अनुशासन के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस घटना से न केवल संसद के भीतर आचार संहिता और सदन की गरिमा पर चर्चा तेज होगी, बल्कि यह मामला आगामी चुनावी रणनीतियों में भी एक प्रमुख बहस का विषय बन सकता है। विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी की एक राजनीतिक चाल बताया है, जबकि बीजेपी इसे लोकतांत्रिक मर्यादा की रक्षा का मुद्दा मान रही है।
इस विवाद को लेकर जनता और राजनीतिक सर्कलों में मतभेद स्पष्ट रूप से उभर रहे हैं, क्योंकि संसद सदस्यों के व्यवहार और कक्ष के भीतर प्रतिबंधित पदार्थों के उपयोग को लेकर नीतिगत और नैतिक बहसें तेज़ हो रही हैं, और इसका असर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की छवि पर भी पड़ रहा है।



