
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में एक और बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) ने आत्महत्या कर ली है। यह दुखद घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राज्य में SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है और BLOs पर तनाव की समस्या लगातार बढ़ रही है। उसकी मौत की पुष्टि के बाद पुलिस ने घर से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें उसने अपनी मौत का ठेका चुनाव आयोग (Election Commission) और SIR की भारी काम की ज़िम्मेदारी पर डालते हुए लिखा है।
बीएलओ की पहचान रिंकू तर्फदार के रूप में की गई है। OneIndia की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सुसाइड नोट में कहा:
“मुझे और यह अमानवीय काम का दबाव नहीं झेलना पड़ता … मैं किसी राजनीतिक दल की नहीं हूँ, पर इतना बोज़ा मुझे सहना पड़ा।”
वो यह साफ कह रही थीं कि उनकी नौकरी “मामूली” है, लेकिन SIR के काम ने उन्हें असहनीय मानसिक और शारीरिक दबाव में धकेल दिया था।
मृतका ने अपने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि उन्होंने कई प्रयास किए थे — उन्होंने BDO ऑफिस और अपने सुपरवाइज़र को स्थिति बताई थी, लेकिन कोई राहत नहीं दी गई। वो कह रही थीं कि उन्होंने लगभग 95% ऑफलाइन काम पूरा कर लिया था, पर ऑनलाइन हिस्से में वह परेशानी में थीं।
उनके परिवार का आरोप है कि उनका यह कदम अत्यधिक कार्यभार और मानसिक तनाव के कारण था, जो SIR अभियान के चलते शुरू हुआ था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि “और कितनी जानें जाएंगी?” SIR को तुरंत रोके जाने की उनकी मांग है।
यह मामला अकेला नहीं है — पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल में कई BLOs की मौत इसी तरह की परिस्थितियों में हुई है। इसने राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि चुनावी कामों के लिएพื้น स्तर के कर्मचारियों पर कितना दबाव बगैर किसी सहारे के डाला जा रहा है।
इस घटना से यह बात साफ होती है कि चुनावी प्रक्रियाओं में केवल वोटर-लिस्ट अपडेट ही नहीं, बल्कि उन लोगों की मानसिक सुरक्षा पर भी ध्यान देना ज़रूरी है जो इस काम को जमीनी स्तर पर कर रहे हैं।



