
इंदौर के डांसिंग कॉप रंजीत सिंह पर युवती ने लगाए गंभीर आरोप
इंदौर की ट्रैफिक पुलिस में पदस्थ “डांसिंग कॉप” के नाम से मशहूर रंजीत सिंह इन दिनों एक मामलों की गरमागरमी का केंद्र बने हुए हैं। इस घटना की शुरुआत तब हुई जब एक युवती, राधिका सिंह नाम की, सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए उन पर व्यक्तिगत बातचीत के तहत अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाती है।
घटना की रूपरेखा
राधिका ने आरोप लगाया है कि रंजीत सिंह ने उन्हें सोशल मीडिया पर मैसेज भेजे, जिसमें उन्होंने दोस्ती स्थापित करने की बात कही, इंदौर आने का न्योता दिया, और यहां तक कि होटल और फ्लाइट टिकट कराने का प्रस्ताव भी रखा गया।
युवती ने बताया कि जब उन्होंने इस तरह की पेशकश से अवगत कराया, तो यह व्यवहार उन्हें अनुचित लगा, और उन्होंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
पुलिस की कार्रवाई और प्रतिक्रिया
इस मामले के सामने आने के बाद इंदौर पुलिस विभाग ने रंजीत सिंह को लाइन अटैच कर दिया है। इसका मतलब है कि उन्हें फिल्ड ड्यूटी से हटाकर पुलिस लाइन में रख दिया गया है। क्राइम ब्रांच के ADCP (Crime) राजेश दंडोतिया ने बताया है कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। यदि आरोप सही पाए गए, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
रंजीत सिंह का पक्ष / उनका बयान
रंजीत सिंह ने इन आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि इस युवती का मकसद “प्रसिद्धि पाने” का हो सकता है और बातचीत को गलत संदर्भ (context) में प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने खुद इस युवती को नहीं बुलाया है, न ही वे इतने करीब हैं कि इस तरह के प्रस्ताव दे सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि चैट के कुछ हिस्से हटाए गए हैं ताकि पूरी कहानी न दिख सके।
सामाजिक और कानूनी पहलू
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि सोशल मीडिया पर व्यवहार सीमाएँ कैसे पार कर सकता है, खासकर जब कोई सार्वजनिक व्यक्ति हो। ऐसे मामलों में सार्वजनिक विश्वास और पुलिस की छवि पर असर पड़ सकता है।
कानूनी दृष्टिकोण से, पुलिस विभाग पर यह जिम्मेदारी बनती है कि वे पारदर्शी रूप से जांच करें और सुनिश्चित करें कि कार्रवाई निष्पक्ष हो। यदि कोई अधिकारी आचार संहिता (conduct rules) का उल्लंघन करता है, तो उस पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
संभावित परिणाम
जांच पूरी होने के बाद यदि आरोप साबित हुए तो रंजीत सिंह को सजा-अपराधिक कार्रवाई के साथ-साथ विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
पुलिस विभाग और मध्यप्रदेश सरकार को ऐसे मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करके जनता का भरोसा बनाए रखना होगा।
इस प्रकार की घटना सार्वजनिक व्यक्तित्वों की निजी और पेशेवर सीमाएँ निर्धारित करने की आवश्यकता को फिर से उजागर करती है।



