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बॉम्बे हाईकोर्ट का सख़्त सवाल: क्या पुलिस अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को FIR से बचा रही है?

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पुणे की चर्चित जमीन सौदे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या पुलिस उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को जानबूझकर FIR से बाहर रख रही है, जबकि सौदे में शामिल कंपनी Amadea Enterprises LLP में पार्थ की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब जमीन “महार वतन” श्रेणी की थी, जिसकी खरीद-बिक्री पर कानूनी प्रतिबंध हैं, तो फिर यह सौदा कैसे हुआ और इसमें जुड़े मुख्य लोगों को जांच से बाहर क्यों रखा गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि FIR में केवल कुछ सीमित लोगों को नामज़द करना और प्रमुख निर्णयकर्ताओं को न छूना, जांच की निष्पक्षता पर गंभीर संदेह पैदा करता है। इस दौरान कोर्ट ने पुलिस से कठोरता से पूछा कि क्या वह किसी तरह के राजनैतिक दबाव में काम कर रही है, क्योंकि ऐसे मामलों में पारदर्शिता और समान कार्रवाई बेहद आवश्यक है।

अदालत के समक्ष यह तथ्य भी रखा गया कि लगभग 40 एकड़ की इस जमीन की वास्तविक अनुमानित कीमत सैकड़ों—यहाँ तक कि हज़ार करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है, जबकि लेन-देन की राशि इससे काफी कम दिखाई गई। इससे यह आशंका और गहरी हो गई कि सौदे में न सिर्फ अनियमितताएं हैं बल्कि सरकारी/महार वतन जमीन का गलत इस्तेमाल भी हुआ है। कोर्ट ने साफ कहा कि जांच एजेंसी को सुनिश्चित करना चाहिए कि चाहे आरोपी कितना भी प्रभावशाली हो, कानून सभी पर समान रूप से लागू हो। विपक्ष ने भी आरोप लगाया है कि सरकार और पुलिस मिलकर पार्थ पवार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे मामला राजनीतिक रूप से भी गरमाया हुआ है। अब हाईकोर्ट की कठोर टिप्पणी के बाद पुलिस पर दबाव बढ़ गया है कि वह मामले की जांच को और पारदर्शी बनाए और सभी संबंधित लोगों की भूमिका का निष्पक्ष मूल्यांकन करे।

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