
भारत में पाकिस्तान समर्थक देशों के खिलाफ गुस्सा अब सड़कों और सोशल मीडिया से निकलकर व्यापार, यात्रा और निवेश जैसे क्षेत्रों तक पहुंच गया है। पहले तुर्की और अज़रबैजान के खिलाफ बायकॉट अभियान जोर पकड़ रहा था, और अब अमेरिका के खिलाफ भी बायकॉट की अपील उठने लगी है।
क्यों भड़का गुस्सा?
यह पूरा विवाद उस समय और अधिक तेज हुआ जब भारत द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पता चला कि पाकिस्तान ने तुर्की से मिले ड्रोन का उपयोग किया है। इससे भारतीय नागरिकों में आक्रोश और बढ़ गया, क्योंकि तुर्की और अज़रबैजान लंबे समय से पाकिस्तान का खुला समर्थन करते रहे हैं, खासकर कश्मीर मुद्दे पर।
इस मामले में अमेरिका की भूमिका भी संदेह के घेरे में आई, जब यह खबर सामने आई कि अमेरिका ने तुर्की को मध्यम दूरी की मिसाइलें सप्लाई की हैं। इस खबर के बाद प्रसिद्ध भारतीय निवेशक शंकर शर्मा ने अमेरिका के खिलाफ भी बायकॉट की मांग करते हुए कहा कि जैसे तुर्की और अज़रबैजान का विरोध हो रहा है, वैसे ही अमेरिका के खिलाफ भी आवाज़ उठनी चाहिए।
ट्रैवल इंडस्ट्री पर असर
भारत के ट्रैवल सेक्टर में इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है:
- MakeMyTrip और ClearTrip जैसी बड़ी ऑनलाइन ट्रैवल कंपनियों ने बताया है कि तुर्की और अज़रबैजान की बुकिंग में 60% की गिरावट आई है।
- इन देशों की फ्लाइट बुकिंग में 250% तक रद्दीकरण की दर दर्ज की गई है।
- सोशल मीडिया पर #BoycottTurkeyAirlines ट्रेंड कर रहा है।
- शिवसेना जैसे राजनीतिक दलों ने भी नागरिकों से अपील की है कि वे तुर्की एयरलाइंस से यात्रा न करें।
व्यापारिक रिश्तों में दरार
- उदयपुर के संगमरमर व्यापारियों ने तुर्की से मार्बल का आयात पूरी तरह से बंद कर दिया है। तुर्की, भारत में मार्बल आयात का 70% हिस्सा देता था।
- पुणे के फल व्यापारियों ने भी तुर्की से सेब का आयात रोक दिया है।
- कई अन्य राज्यों में भी व्यापारिक संगठनों ने तुर्की और अज़रबैजान से सामान खरीदने से मना कर दिया है।
निवेश और शैक्षणिक क्षेत्र भी प्रभावित
- कुछ निवेशक अमेरिका की कंपनियों में निवेश पर पुनर्विचार करने की बात कर रहे हैं।
- छात्रों और अभिभावकों के बीच भी तुर्की और अज़रबैजान में उच्च शिक्षा को लेकर नकारात्मक सोच बढ़ी है।
सोशल मीडिया पर विरोध की लहर
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर #BoycottTurkey, #BoycottAzerbaijan, और अब #BoycottUSA जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। हजारों यूज़र्स इन देशों से व्यापारिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध तोड़ने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत में यह विरोध केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि अब इसका वास्तविक आर्थिक और कूटनीतिक प्रभाव भी सामने आने लगा है। तुर्की, अज़रबैजान और अमेरिका जैसे देशों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत के खिलाफ या भारत विरोधी तत्वों के समर्थन का जवाब अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि व्यवहार और नीति से दिया जाएगा।