
भारत सरकार ने तुर्की की प्रसिद्ध जमीनी सेवा प्रदाता कंपनी Çelebi Aviation का सुरक्षा लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण उठाया गया है, हालांकि अभी तक सरकार ने इस निर्णय के पीछे के विशेष कारणों का खुलासा नहीं किया है। हालांकि, इस मामले को लेकर चर्चा तेज हो गई है, खासकर जब से Çelebi ने खुद को इस मामले से जोड़ा है और इस निर्णय का विरोध किया है।
Çelebi Aviation का बयान:
Çelebi Aviation ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि वे न तो तुर्की की कंपनी हैं और न ही उनकी तुर्की सरकार या अर्दोगान परिवार से कोई संबंध है। कंपनी का कहना है कि वह एक वैश्विक कंपनी है और तुर्की से बाहर दुनिया भर में अपने जमीनी सेवा कार्य करती है। इस बयान में कंपनी ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के साथ उनका संबंध पूरी तरह से वाणिज्यिक और पेशेवर है, और वे तुर्की सरकार या किसी भी तुर्की नागरिक से जुड़े नहीं हैं।
सुरक्षा लाइसेंस का रद्द होना:
भारत में 2008 में अपनी सेवाएं शुरू करने वाली Çelebi Aviation देश के प्रमुख हवाई अड्डों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि, अहमदाबाद, गोवा, कन्नूर और चेन्नई पर जमीनी सेवाएं (जैसे विमान उतारने, मालवाहन सेवाएं, यात्रियों का हैंडलिंग आदि) प्रदान करती थी। लेकिन अब सरकार ने इस कंपनी का सुरक्षा लाइसेंस रद्द कर दिया है, जिससे उसकी सेवाओं पर गंभीर असर पड़ेगा।
आखिर क्या कारण हो सकते हैं?
यद्यपि सरकार ने इस फैसले के कारण का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ी हैं। भारत और तुर्की के बीच के राजनैतिक संबंधों में भी तनाव बढ़ता जा रहा है, खासकर जब तुर्की ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान के रुख को सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया था। इससे भारत सरकार ने अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं।
इस फैसले के बाद से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या Çelebi Aviation का तुर्की सरकार से कोई अप्रत्यक्ष संबंध हो सकता है, जिसके चलते भारत की सुरक्षा पर कोई खतरा उत्पन्न हो सकता था।
विभिन्न एयरपोर्टों पर प्रभाव:
Çelebi Aviation द्वारा दिए जाने वाले जमीन सेवाओं का भारत में बड़े पैमाने पर उपयोग होता था। इन सेवाओं के रुकने से भारत के प्रमुख एयरपोर्टों पर जमीनी कार्यों में परेशानी हो सकती है। कंपनी को कई प्रमुख एयरपोर्टों पर अपनी सेवाओं को जारी रखने के लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता थी, जो अब रद्द कर दी गई है।
समाज और राजनीति पर प्रभाव:
यह घटना न केवल वाणिज्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनैतिक और सुरक्षा मामलों के संदर्भ में भी एक अहम मोड़ है। यह दिखाता है कि भारत अब अपने राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में कोई समझौता नहीं करेगा, खासकर जब बात विदेशी कंपनियों और उनके आंतरिक संबंधों की हो। इस कदम से यह भी संदेश जाता है कि भारत सरकार किसी भी विदेशी एजेंसी या संगठन से जुड़े सुरक्षा खतरों को गंभीरता से लेती है।