दिल्ली के वसंत कुंज इलाके से जुड़े स्वामी चैतन्यानंद (उर्फ पार्थ सारथी) के खिलाफ बढ़ते आरोपों में एक नया मोड़ सामने आया है — अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, उसकी व्हाट्सएप चैट्स में खुलासा हुआ है कि उसने दुबई के एक शेख के लिए कॉलेज की लड़कियों को “सप्लाई” करने की बात कही थी। यह खुलासा तब हुआ है, जब वह 17 छात्राओं से यौन शोषण के गंभीर आरोपों के बीच गिरफ्तार किया गया है।
चैट से पता चलता है कि उसने एक छात्रा से पूछा था कि क्या उसकी जूनियर या कोई दोस्त ऐसी है जो “शेख के लिए” उपयुक्त हो सकती है — इस संवाद में उसने कथित रूप से कहा कि “दुबई का शेख यौन साथी चाहता है, क्या तुम्हारी कोई अच्छी दोस्त है?” जब छात्रा ने ऐसा कोई नाम न होने की बात कही, उसने कक्षा में किसी जूनियर या साथी लड़की के बारे में पूछना जारी रखा।
यह विषय इसलिए और संवेदनशील हो जाता है कि वह छात्राओं को न केवल यौन प्रकार से उत्पीड़ित कर रहा था, बल्कि उन्हें एक तरह की तस्करी या सौदेबाजी का माध्यम बनाने की योजना कर रहा था — और वह भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जब वह दुबई जैसे विदेशी संदर्भ जोड़ रहा था।
इस मामले की गंभीरता को दर्शाते हुए, पुलिस जांच के दौरान इसके अलावा और भी चैट संदेश मिले हैं, जिसमें स्वामी ने महिलाओं को “Sweetie Baby Daughter Doll” जैसे घरेलू और आकर्षक संबोधनों से बुलाया और दिन-रात लगातार मैसेज भेजे।
उदाहरण के लिए, उन्होंने पूछा:
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“जब तुम मेरे साथ नहीं सोओगी?”
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“तुम मुझसे नाराज क्यों हो रही हो?”
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“Good Evening my most beloved baby daughter doll”
इस बीच, यह पता चला है कि चैतन्यानंद को आगरा से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया है कि वह कई महीने से फरार था और कई शहरों में छिपा रहा।अधिकारियों के पास उसके पास से मोबाइल फोन, चैट लॉग और अन्य डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
पुलिस की प्रारंभिक जांच बताती है कि इस मामले में कम-से-कम 17 छात्राओं ने कथित तौर पर चैतन्यानंद पर यौन उत्पीड़न, धमकी और विश्वासघात के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोप भी उसके खिलाफ लगें हैं।
यह मामला हमें यह याद दिलाता है कि कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जो आध्यात्मिक या गुरु का मुखौटा पहनकर अपनी निजी इच्छाओं को दबाने का या शोषण करने का उपकरण ढूंढते हैं। इस घटना में, यह बात और भयावह हो जाती है कि लड़की-छात्राओं की पढ़ाई, भविष्य और आत्म-सम्मान को वैश्विक स्तर पर उलझाने का प्रयास किया गया — न कि केवल व्यक्तिगत स्तर पर।
आगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि:
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अदालत और पुलिस जांच कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष होगी;
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आरोपी के ठिकानों, सहयोगियों और समर्थकों की भूमिका कौन–कौन निभा रहे हैं;
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शोषित छात्राओं को सुरक्षित वातावरण, न्याय और पुनरावृत्ति न हो, इसकी गारंटी कैसे दी जाए;
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शिक्षा संस्थानों और सामाजिक संरचनाओं में सुरक्षा तंत्र कैसे मजबूत हों ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ कम हों;
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मीडिया और समाज इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता और जवाबदेही कैसे बनाए रखें।
इस सनसनीखेज खुलासे ने न केवल स्वामी चैतन्यानंद की सूरत उजागर की है, बल्कि यह संकेत दिया है कि यौन शोषण की घटनाएँ सिर्फ व्यक्तिगत स्तर की नहीं होतीं — वे सामाजिक संरचना, शक्ति असंतुलन, और व्यवस्था की कमजोरी से भी जुड़ी होती हैं।
