
पाकिस्तान और चीन के बीच की दोस्ती को अक्सर ‘आयरन क्लैड’ (Iron Clad) कहा जाता है, जो दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को दर्शाता है। हालांकि, यह साझेदारी पाकिस्तान के लिए एक ‘कर्ज़ी जाल’ (Debt Trap) बन चुकी है, जो उसकी स्वतंत्रता और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरे की घंटी है।
🏗️ CPEC: चीन का पाकिस्तान में निवेश का प्रमुख स्तंभ
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) दोनों देशों के रिश्तों का आधार है। इस परियोजना के तहत 62 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 27.4 बिलियन डॉलर की परियोजनाएं 2023 तक पूरी हो चुकी थीं। हालांकि, इन परियोजनाओं ने पाकिस्तान को बुनियादी ढांचे में सुधार तो प्रदान किया, लेकिन इसके साथ ही भारी कर्ज़ का बोझ भी बढ़ा दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि CPEC अब पाकिस्तान के लिए एक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संकट’ में बदल चुका है, जिससे बाहर निकलने की कुंजी केवल चीन के पास है ।
💰 चीन का भारी कर्ज़ और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
पाकिस्तान पर चीन का कर्ज़ लगातार बढ़ रहा है। मार्च 2025 में, चीन ने पाकिस्तान के 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज़ की अदायगी की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दी, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के दबाव से कुछ राहत मिली । हालांकि, पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज़ लगभग 77.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा चीन को चुकाना है ।आज तकWikipedia
⚔️ सैन्य सहयोग: पाकिस्तान की सैन्य ताकत में चीन का योगदान
हाल ही में, पाकिस्तान ने भारतीय राफेल विमान को गिराने के लिए चीनी निर्मित J-10C लड़ाकू विमानों और PL-15 मिसाइलों का उपयोग किया, जो चीन की सैन्य तकनीकी क्षमता को दर्शाता है । विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना ने चीन को अपने हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया है।
🏦 पाकिस्तान की स्वतंत्रता पर बढ़ता दबाव
पाकिस्तान की बढ़ती आर्थिक निर्भरता और चीन के साथ बढ़ते सैन्य रिश्ते उसकी स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की आंतरिक नीतियों और निर्णयों पर चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे उसकी स्वतंत्रता पर खतरा मंडरा रहा है ।
निष्कर्ष:
चीन और पाकिस्तान की ‘आयरन क्लैड’ दोस्ती पाकिस्तान के लिए एक ओर संकट बन चुकी है। जहाँ एक ओर यह साझेदारी आर्थिक और सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर यह पाकिस्तान की स्वतंत्रता और स्थिरता के लिए खतरे की घंटी है। आने वाले समय में, पाकिस्तान को इस साझेदारी के लाभ और हानियों का संतुलन बनाना होगा, ताकि वह अपनी स्वतंत्रता और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रख सके।