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ASI संदीप का सुसाइड वीडियो और नोट, IPS वाई पूरन कुमार पर गंभीर आरोप

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हरियाणा पुलिस के दो हाई-प्रोफाइल घटनाओं ने राज्य में हलचल मचा दी है। 7 अक्टूबर को वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या कर दी थी और उनके सुसाइड नोट में उच्चाधिकारियों पर जातिगत उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोप उठे थे। अब रोहतक के एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) संदीप (लैथर / शर्मा के नाम से रिपोर्ट हुआ है) की भी मौत उसी मामले को लेकर संदिग्ध परिस्थितियों में दर्ज हुई है — उसने जाने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया और तीन पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने पूरन कुमार पर रिश्वतखोरी, भ्रष्ट आचरण और महिला अफसरों के साथ गलत व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

एसआई संदीप ने अपने वीडियो और नोट में कहा है कि पूरन कुमार ने भ्रष्ट तरीकों से मामलों में मदद की, कुछ मामलों में 50 करोड़ जैसी बड़ी डीलों का जिक्र आया है और उन्होंने आरोप लगाया कि पूरन ने अपनी जाति के कुछ भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण दिया और सिस्टम को अपने हित में मोड़ा। संदीप ने यह भी दावा किया कि पूरन की आत्महत्या नकली परिस्थितियों में की गई — वह उस डर से मरे कि अगर उनकी कथित गलतियाँ उजागर हुईं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। इन दावों ने पहले से चल रहे जांच के दायरे को व्यापक बना दिया है।

पुलिस ने घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट और वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है और मृतक ASI के परिवार ने शुरुआती पोस्टमॉर्टेम में आस्थगित रवैया अपनाते हुए शव को गांव ले जाने का विरोध जताया, जिसकी वजह से मामला और संवेदनशील हो गया है। राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशालय ने दोनों घटनाओं की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है, जबकि विपक्ष और कुछ सामाजिक-राजनैतिक संगठन ने मामले की शीघ्र और सख्त जांच की मांग कर जत्थेबंदी की धमकी भी दी है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव: BSP और अन्य दलों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर वरिष्ठ अधिकारी ही उत्पीड़न या भ्रष्टाचार के दायरे में आएँ तो आम नागरिकों के लिए न्याय की समस्या और भी गंभीर हो जाती है; कुछ संगठनों ने राज्यव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है। मामले ने जातिगत आरोपों और भ्रष्टाचार—दोनों विमर्शों को एक साथ खड़ा कर दिया है, जिससे कानून-व्यवस्था व पुलिसवालों के आचरण पर व्यापक सार्वजनिक बहस छिड़ी है।

मौजूदा स्थिति और आगे की प्रक्रिया: पुलिस ने घटना स्थल और वीडियो की तकनीकी जांच तेज कर दी है, तथा सभी संबंधित अधिकारियों के फोन और वित्तीय रिकॉर्ड की पड़ताल की जा रही है। राज्य सरकार ने उच्चस्तरीय जांच की घोषणा की है और यदि जरूरी माना गया तो प्राथमिकी/अन्य कानूनी कार्यवाही के विकल्प अपनाये जा सकते हैं। जनता और राजनीतिक दल अब फोरेंसिक रिपोर्ट और जांच-रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसका नतीजा आने वाले दिनों में इस घटना की दिशा तय करेगा।

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