Advertisement
राजस्थानलाइव अपडेट
Trending

कफ सिरप कांड: 11 मासूमों की मौत से हड़कंप

Advertisement
Advertisement

अमर उजाला की एक फोटो-गैलरी रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी का सिरप पीने के बाद 11 बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है और दोनों राज्यों की सरकारों की प्रतिक्रिया विवादों में घिर गई है। कहा जा रहा है कि यह मौतें बच्चों में अचानक किडनी फेल होने से हुईं, और इन सभी मामलों में खांसी-जुकाम से जुड़े सिरप का इतिहास पाया गया।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले कुछ हफ्तों में 9 बच्चों की मौत हुई है, जबकि राजस्थान के सीकर और भरतपुर जिलों में दो और बच्चों की जान गई है। प्रारंभिक रिपोर्टों में यह संभावना जताई जा रही है कि इन सिरपों में डाइएथिलीन ग्लाइकोल जैसे जहरीले रसायन हो सकते हैं, जो किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश की सरकार ने कहा है कि मामले की पूरी जांच चल रही है और जो नमूने लिए गए हैं, उनकी रिपोर्टों का इंतजार है। मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह दावा किया गया है कि सरकार की ओर से आपूर्ति किए गए सिरपों में अभी तक ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है जिसे मौतों से जोड़ा जा सके।

राजस्थान सरकार की प्रतिक्रिया अधिक तीखी रही। स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने इस घटना में सरकार की भूमिका से इन्कार करते हुए कहा कि जिन दवाइयों को माताएँ बच्चों को देती हैं, वे सरकारी अस्पतालों द्वारा निर्देशित नहीं होती थीं और न ही उनकी सूची में थीं। उन्होंने कहा कि यदि किसी ने बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाई दी है, तो वह मामला विभाग की जिम्मेदारी नहीं है।  इसके अतिरिक्त, खींवसर ने यह भी कहा कि जिन दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं, उनमें कोई ऐसी समस्या नहीं पाई गई है जो मौतों का कारण हो।

एक और महत्वपूर्ण तथ्य है कि केंद्रीय स्तर पर जांच एजेंसियाँ सक्रिय हो गई हैं। केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन, नेशनल ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी आदि ने संबंधित इलाकों का दौरा किया है और दवा कंपनियों से जुड़े नमूनों की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे बच्चों को खांसी-सिरप देने में सतर्कता बरतें और विशेषकर दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ये दवाएं न दी जाएँ।

मगर यहाँ एक और गतिविधि सामने आई है: प्रारंभिक लैब रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि जिन सिरप नमूनों की जांच की गई, उनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल जैसे सामान्य रूप से संदिग्ध जहरीले रसायन नहीं पाए गए। इस बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया है—क्या मौतें वास्तव में खांसी-सिरप की वजह से हुईं, या कहीं और से कुछ अन्य विषाक्तता जुड़ी हुई है?

इस पूरे मामले से सामने आने वाली चिंताएँ गहरी हैं:

  • दवा निर्माण एवं गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया कितनी विश्वसनीय है?

  • सरकारी या सस्ते दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता कितनी है?

  • यदि नमूनों में जहरीले तत्व न मिले हों, तो मौतों की अन्य संभावित वजहें क्या हो सकती हैं?

  • किन्हीं चिकित्सा संस्थाओं या डॉक्टरों की भूमिका है या नहीं?

  • राज्य सरकारों की कार्रवाई समय पर रही या नहीं?

ये सवाल अब आम जनता, मीडिया और न्यायपालिका की निगाहों में हैं। इस कफ सिरप कांड की गहराई में जाने के लिए व्यापक जांच, जिम्मेदार व्यक्तियों की संभावना मूल्यांकन और पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना अनिवार्य है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share