
मुख्य बातें:
आगामी 90वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, दलाई लामा ने स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी की पहचान केवल उनके द्वारा स्थापित नॉन‑प्रॉफिट संस्था (Gaden Phodrang Trust) के माध्यम से की जाएगी, और यह व्यक्ति भारत या किसी “मुक्त देश” में जन्मेगा
चीन ने इसके तुरंत बाद प्रतिक्रिया दी कि शिल्पानुसार, उत्तराधिकारी की पहचान “गोल्डन अर्न” प्रणाली (क्यूंग वंश से शुरू हुई) एवं केंद्रीय सरकार की मंज़ूरी से ही संभव है .
पेनपा त्सेरिंग, तिब्बती सरकार‑इन‑जिल्द के राष्ट्रपति, ने चीन की यह प्रक्रिया धार्मिक आस्था का अपमान बताया और कहा कि “तिब्बती लोग कभी इसे स्वीकार नहीं करेंगे।” उन्होंने चीन की विधियों को “राजनीतिक पुनरुत्थान” करार दिया .
भारत ने भी दलाई लामा की स्वतंत्र निर्णय क्षमता का समर्थन किया। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि यह मामला “राजनीति से परे” धार्मिक विश्वास का विषय है, और कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती
चीन की ओर से पैनचन लामा (जो बीजिंग द्वारा नियुक्त है) को राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात कर उनकी वफादारी की पुष्टि की गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि चीन तिब्बती धार्मिक पदों पर नियंत्रण बढ़ाना चाहता है .
विस्तृत व्याख्या:
- दलाई लामा ने दो जुलाई, 2025 को घोषणा की कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी संस्था ही उत्तराधिकारी चुनने की अधिकारिक जिम्मेदारी लेगी, और उत्तराधिकारी “मुक्त दुनिया” में जन्मेगा .
- चीन ने तुरंत कहा कि उत्तराधिकारी की पहचान “गोल्डन अर्न” प्रक्रिया के माध्यम से, और देश की धार्मिक नीतियों एवं कानूनों के तहत ही हो सकती है
- पेनपा त्सेरिंग ने इसे धार्मिक प्रक्रिया का राजनीतिक उपयोग बताया और “भगवद्पूजा का अपमान” बताया .
- भारत ने तिब्बती नेता का समर्थन करते हुए कहा कि उत्तराधिकारी का निर्णय दलाई लामा और उनकी संस्था द्वारा ही होना चाहिए, न कि किसी सरकार द्वारा
- बीजिंग ने शी जिनपिंग की बैठक के जरिये पैनचन लामा से वफादारी की पुष्टि करवाई, जो चीन की धर्म नीति के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है