12 सितंबर 2025 को दोपहर में दिल्ली हाई कोर्ट को एक धमकी भरा ई‑मेल मिला, जिसमें कहा गया कि कोर्ट परिसर में तीन बम लगाये गए हैं और दोपहर 2 बजे तक परिसर को खाली कराना होगा।
जैसे ही यह सूचना मिली, सुरक्षा एजेंसियाँ तुरंत सक्रिय हो गईं। कोर्ट परिसर में मौजूद जजों, वकीलों, स्टाफ एवं अन्य लोगों को बाहर निकाला गया। परिसर की तलाशी के लिए बम निरोधक दस्ते (Bomb Squad), विशेष सेल और पुलिस की अन्य यूनिट तैनात कर दी गईं।
साथ ही, बॉम्बे हाई कोर्ट को भी उसी तरह का ई‑मेल धमकी मिला, जिसके बाद वहाँ भी कोर्ट परिसर को खाली कराया गया। जजों, वकीलों और अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा‑प्रोटोकॉल लागू किये गए।
पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। जांच का दायरा इस बात पर है कि ई‑मेल किस आईपी एड्रेस या सर्वर से भेजा गया, क्या मेल‑हेडर में छेड़‑छाड़ हुई है और धमकी देने वालों की पहचान कैसे की जाए। मेल में राजनीतिक संदर्भ भी थे, जिनका विश्लेषण चल रहा है।
यह घटना कानून व्यवस्था और न्यायिक संस्थानों की सुरक्षा के महत्व को फिर से उजागर करती है। उच्च न्यायालय परिसरों में कितनी सक्षम सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए, यह सवाल उठता है।