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दिल्ली में मॉक ड्रिल के तहत ITO पर सायरन की टेस्टिंग: हमले की आशंका के मद्देनज़र सुरक्षा उपाय

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दिल्ली में 9 मई 2025 को नागरिक सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह ड्रिल खास तौर पर हमले की आशंका के मद्देनज़र की गई, जिसमें ITO क्षेत्र में स्थित PWD भवन पर एयर रेड सायरन की टेस्टिंग की गई। मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों में जागरूकता फैलाना और संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना था।


ITO पर सायरन की टेस्टिंग:


मॉक ड्रिल का महत्व:

यह मॉक ड्रिल खासतौर पर पाकिस्तान से बढ़ते तनाव को देखते हुए की गई। कुछ दिन पहले ही ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, और पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमाओं पर हमले की आशंका जताई गई थी। ऐसे में, दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया कि नागरिक किसी भी हमले के समय सही तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें और खुद को सुरक्षित रख सकें।

इस ड्रिल का उद्देश्य सुरक्षा की स्थिति को समझना और यह सुनिश्चित करना था कि यदि कोई वास्तविक हमले जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो नागरिकों के पास सही जानकारी हो और वे त्वरित प्रतिक्रिया दे सकें।


सायरन और सुरक्षा उपायों का प्रभाव:

मॉक ड्रिल का एक प्रमुख उद्देश्य यह था कि नागरिकों को यह सिखाया जाए कि सायरन बजने पर उन्हें क्या करना चाहिए। मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजने पर यह देखा गया कि लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़े, जैसे कि आलमारियों में छिपना या निकटवर्ती बंकरों में जाना। इससे यह पता चला कि नागरिकों में जागरूकता की कमी नहीं है, लेकिन प्रशासन को और भी नियमित अभ्यास और प्रशिक्षण देने की जरूरत है।

PWD मंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह की ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को इस प्रकार की आपात स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है। उनका मानना है कि जागरूकता और प्रशिक्षण से ही हम किसी भी आपातकालीन स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।


मॉक ड्रिल का भविष्य में उपयोग:

दिल्ली प्रशासन का कहना है कि यह मॉक ड्रिल भविष्य में और भी अधिक क्षेत्रों में की जाएगी। इसके तहत, दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सायरन और अन्य सुरक्षा उपायों को इंस्टॉल किया जाएगा, जिससे नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में संवेदनशीलता और प्रतिक्रिया में मदद मिल सके।

आने वाले दिनों में दिल्ली में आपातकालीन कक्ष और निगरानी केंद्रों को और भी ज्यादा विकसित किया जाएगा ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

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