
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में भाषा को लेकर उठे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार का उद्देश्य कभी भी किसी भाषा को दूसरों पर थोपना नहीं रहा है। उनका यह बयान उस समय आया है जब कुछ राज्यों में हिंदी को लेकर चिंता जताई गई, खासकर तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और हर क्षेत्र की अपनी भाषा और सांस्कृतिक पहचान है। नई शिक्षा नीति (NEP) में सभी भारतीय भाषाओं को समान महत्व दिया गया है और छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प मिल रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार का मकसद सभी भाषाओं का सम्मान करना है और किसी एक भाषा को थोपना कभी एजेंडा नहीं रहा। उनका कहना था कि भाषा का चुनाव छात्रों और अभिभावकों की मर्जी से होना चाहिए, न कि किसी दबाव या निर्देश से।
इस मुद्दे पर तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पहले भी विरोध हो चुके हैं। अब धर्मेंद्र प्रधान की ओर से यह बयान स्थिति को संतुलित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।