
बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर (महिला) को साइबर ठगों ने **फर्जी पुलिस अधिकारियों के रूप में संपर्क कर ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर इतना डराया कि उसने अपनी दो रेजिडेंशियल प्लॉट और फ्लैट बेच दिए, और लगभग ₹2 करोड़ धोखेबाजों को बिना किसी शक के ट्रांसफर कर दिए। धोखेबाजों ने शुरू में खुद को ब्लू डार्ट कूरियर अधिकारी बताया और बाद में पुलिस अधिकारी होने का किरदार निभाया, यह दावा करते हुए कि उसकी आधार से संदिग्ध सामान जब्त हुआ है और वह जांच की प्रतीक्षा के दौरान गिरफ्तार हो सकती है, जिससे महिला भयभीत हो गई।
ठगों ने महिला को विशेष मोबाइल एप्लिकेशन इंस्टॉल करने और सहयोग करने के लिए प्रेरित किया, साथ ही धमकी दी कि अगर उसने सहयोग नहीं किया तो उसके परिवार को नुकसान होगा। डर और तनाव में, पीड़ित ने अपने दोनों संपत्तियाँ बेचीं और बैंक से लोन लेकर सारी रकम साइबर अपराधियों को दी। कुल मिलाकर लगभग ₹2 करोड़ की रकम ठगों के पास पहुँच गई, जिसके बाद उन्होंने पैसे वापस मिलने का भरोसा दिलाया और फिर सम्पर्क बन्द कर दिया। पीड़िता ने व्हाइटफील्ड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, और पुलिस इस ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम की जांच कर रही है।
यह मामला उस बढ़ते साइबर अपराध प्रवृत्ति का हिस्सा है जहाँ अपराधी कानून-व्यवस्था एजेंसियों की नकल कर पीड़ितों को डराते हैं, उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने या निजी जानकारी साझा करने को मजबूर करते हैं।



