पूरे देश में सोमवार को दिवाली का पर्व उल्लास और रोशनी के बीच मनाया गया। जहां एक ओर कश्मीर के श्रीनगर में ऐतिहासिक लाल चौक 25,000 मिट्टी के दीयों से जगमगा उठा, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया। इस विपरीत तस्वीर ने देश में खुशी के साथ पर्यावरण की चिंता को भी उजागर कर दिया।
श्रीनगर के लाल चौक को हजारों दीयों से सजाया गया था। पूरे क्षेत्र में स्थानीय लोग और पर्यटक ‘दीपोत्सव’ में शामिल हुए। घाटी में इस बार दिवाली का उल्लास पहले से कहीं अधिक देखने को मिला, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक बना। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतज़ाम किए गए थे।
वहीं दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, शहर के 38 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 34 स्टेशन ‘रेड ज़ोन’ में दर्ज किए गए, जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर पहुंच गया। कुछ इलाकों में यह स्तर 400 तक दर्ज हुआ, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों, ठंडी हवाओं और धूल प्रदूषण के कारण स्थिति और बिगड़ सकती है।
दिल्ली सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करें। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि “यह समय है जब त्योहार की खुशी के साथ पर्यावरण की ज़िम्मेदारी भी समझनी चाहिए।”
देशभर में दिवाली के इस अवसर पर मंदिरों, घरों और सार्वजनिक स्थलों पर दीपक, सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लेकिन दिल्ली की बिगड़ती हवा ने इस खुशी में चिंता का रंग भी घोल दिया, जिससे यह संदेश भी उभरा कि “प्रकाश का पर्व तभी सार्थक है जब पर्यावरण भी स्वच्छ और सुरक्षित रहे।”
