
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से डॉग शेल्टर में रखा जाए। कोर्ट का मानना था कि इससे सड़कों पर कुत्तों के हमलों की घटनाओं में कमी आएगी और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। आदेश के बाद दिल्ली नगर निगम (MCD) और अन्य एजेंसियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है, लेकिन ग्राउंड पर तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है।
लाजपत नगर का केंद्र बंद
पहला केंद्र, जो लाजपत नगर इलाके में स्थित है और MCD द्वारा संचालित है, पूरी तरह बंद मिला। गेट पर ताला लटका था, अंदर कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। वहां के आसपास रहने वालों का कहना है कि कई दिनों से यह केंद्र बंद पड़ा है और यहां कुत्तों की देखभाल जैसी कोई गतिविधि नहीं हो रही।
मसूदपुर, वसंत कुंज केंद्र में अफरातफरी
दूसरा केंद्र, वसंत कुंज के मसूदपुर इलाके में है। यहां एक डॉक्टर मौजूद जरूर था, लेकिन वह खुद अस्वस्थ बताया गया। प्रत्येक बाड़े में 5-6 कुत्ते ठूंस-ठूंस कर रखे गए थे। जगह कम होने की वजह से जानवरों में आपसी झगड़े और चोट लगने का खतरा भी बढ़ रहा था। केंद्र में गंदगी फैली हुई थी, वेंटिलेशन की कमी थी और खाना खुले में रखा था। साफ-सफाई और स्वास्थ्य जांच का कोई नियमित इंतज़ाम नहीं दिखा।
तुगलकाबाद का केंद्र भी सीमित क्षमता का
तुगलकाबाद स्थित केंद्र एक NGO द्वारा संचालित है, लेकिन यहां भी भीड़ की समस्या साफ दिखी। केंद्र की क्षमता सीमित होने के बावजूद वहां कई कुत्तों को एक साथ बाड़ों में रखा गया था। सफाई के इंतज़ाम कमजोर थे और बीमार कुत्तों के लिए अलग से क्वारंटीन की सुविधा मौजूद नहीं थी।
संसाधनों और ढांचे की भारी कमी
दिल्ली में अनुमानित रूप से लाखों आवारा कुत्ते हैं, लेकिन उनकी देखभाल के लिए पर्याप्त संख्या में शेल्टर, डॉक्टर, स्टाफ और संसाधन नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अचानक कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने की प्रक्रिया तेज़ हुई, लेकिन ढांचा तैयार न होने के कारण शेल्टरों में भीड़ और गंदगी की स्थिति बन गई है।
स्थानीय लोगों की राय
कुछ इलाकों के लोगों ने बताया कि उन्हें डर है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो शेल्टर में बीमारियां फैल सकती हैं और जानवरों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा। वहीं, एनिमल वेलफेयर से जुड़े लोगों का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन तो होना चाहिए, लेकिन इसके लिए पहले पर्याप्त ढांचा और देखभाल की सुविधाएं तैयार करना ज़रूरी है।