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भारत-पाक मसले में मध्यस्थ नहीं बना

अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में ‘मध्यस्थता’ नहीं की, लेकिन अमेरिका ने इस विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
ट्रंप ने अपने ताज़ा बयान में कहा:

🗣️ “I did not mediate, but I helped solve the Indo-Pak problem.”
(मैंने मध्यस्थता नहीं की, लेकिन भारत-पाक समस्या को हल करने में मदद की।)

यह बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण एशिया में फिर से शांति और कूटनीतिक बातचीत पर ज़ोर दिया जा रहा है।


📌 ट्रंप की भूमिका पर क्या कहता है इतिहास?

  • 2019 में ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की है।
  • भारत ने तब इसे स्पष्ट रूप से खारिज किया था और कहा कि कश्मीर पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान से कोई बातचीत केवल द्विपक्षीय होगी।
  • अब, 2025 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद, ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में किए प्रयासों को ‘शांति स्थापित करने में सहयोग’ के रूप में पेश कर रहे हैं — लेकिन यह भी साफ कर रहे हैं कि उन्होंने कोई औपचारिक मध्यस्थता नहीं की

भारत का रुख:

भारत का रुख एकदम साफ और अटल है:

  • कोई तीसरा पक्ष कश्मीर विवाद में शामिल नहीं हो सकता।
  • भारत-पाकिस्तान के बीच कोई भी बातचीत द्विपक्षीय रूप से होगी।
  • भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि मध्यस्थता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता

विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर ट्रंप के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “भारत का स्टैंड आज भी वही है — सॉवरेन, स्पष्ट और दृढ़।”


🧠 विश्लेषण: ट्रंप का बयान क्या दर्शाता है?

ट्रंप अब अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं और 2024 का चुनाव जीतकर दूसरी बार व्हाइट हाउस में हैं (पहले कार्यकाल: 2017-2021)।
इस बयान से वे:

  • खुद को शांति समर्थक और ग्लोबल लीडर के रूप में पेश कर रहे हैं,
  • दक्षिण एशिया में अमेरिका की भूमिका को महत्वपूर्ण कूटनीतिक हस्तक्षेप के रूप में दिखाना चाहते हैं,
  • और घरेलू-अंतरराष्ट्रीय समर्थन मजबूत करना चाह रहे हैं।

🔚 निष्कर्ष:

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ताज़ा बयान से फिर एक बार यह संकेत दिया कि अमेरिका ने दक्षिण एशिया में शांति कायम करने की दिशा में भूमिका निभाई — लेकिन उन्होंने इस बार ‘मध्यस्थता’ जैसे संवेदनशील शब्द से खुद को दूर रखा।
भारत ने हमेशा की तरह दोहराया कि कोई भी समाधान सीधा और द्विपक्षीय संवाद से ही संभव है।

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