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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राफेल लड़ाकू विमान में भरेंगी उड़ान

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अब एक बार फिर भारतीय वायुसेना के इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रही हैं। राष्ट्रपति 29 अक्टूबर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से भारत के सबसे आधुनिक और शक्तिशाली राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jet) में उड़ान भरेंगी। इस विशेष मिशन को भारतीय वायुसेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया है।

राष्ट्रपति मुर्मू, भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर होने के नाते, इस उड़ान के माध्यम से देश की वायुसेना की क्षमता और मनोबल को दर्शाएंगी। उड़ान के दौरान उनके साथ एक अनुभवी IAF पायलट सह-पायलट के रूप में मौजूद रहेंगे। उड़ान की अवधि लगभग 30 से 40 मिनट की बताई जा रही है, जिसमें राष्ट्रपति राफेल के आधुनिक एवियोनिक्स, हथियार प्रणाली और उच्च गति उड़ान क्षमता का प्रत्यक्ष अनुभव करेंगी।

राफेल का महत्व

राफेल जेट, फ्रांस की कंपनी Dassault Aviation द्वारा निर्मित, चौथी और आधी (4.5-generation) श्रेणी का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है। यह किसी भी मौसम और किसी भी समय दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल को 2020 में शामिल किया गया था, और तब से यह देश की सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।

इससे पहले भी भरी थी लड़ाकू विमान में उड़ान

यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू किसी फाइटर जेट में उड़ान भर रही हैं। इससे पहले अप्रैल 2023 में उन्होंने असम के तेजपुर एयरबेस से Su-30 MKI लड़ाकू विमान में भी सॉरटी की थी। उस समय भी उन्होंने कहा था कि भारतीय वायुसेना की दक्षता, अनुशासन और तकनीकी क्षमता पर उन्हें गर्व है।

सुरक्षा और तैयारियां

इस उड़ान को लेकर अंबाला एयरबेस पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरी एयरबेस को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। राष्ट्रपति के विमान की सुरक्षा, रडार ट्रैकिंग और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम की कई स्तरों पर निगरानी की जा रही है। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे।

महिलाओं के लिए प्रेरणा

राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम न केवल सशस्त्र बलों के लिए बल्कि देशभर की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में उनका इस तरह का मिशन में शामिल होना यह दर्शाता है कि भारत में महिलाएं अब हर क्षेत्र में समान रूप से अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

इस उड़ान के बाद राष्ट्रपति वायुसेना के अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगी और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर एयरफोर्स के जवानों को बधाई देंगी। यह मिशन भारत की वायुशक्ति, तकनीकी प्रगति और महिला नेतृत्व — तीनों का संगम बनकर इतिहास में दर्ज होगा।

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