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नवंबर ड्रग अलर्ट: केंद्रीय प्रयोगशालाओं ने 64 दवा नमूने गुणवत्ता मानकों पर फेल घोषित, 200 से अधिक दवाओं की जांच में घटिया पाए गए

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नई दिल्ली — स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नवंबर 2025 में दवाओं के गुणवत्ता परीक्षण के दौरान केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 64 दवा नमूनों को “मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं (Not of Standard Quality – NSQ)” पाया है, जबकि राज्य स्तर की दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 141 अतिरिक्त दवा नमूनों को इसी श्रेणी में रखा है। इस जानकारी को केंद्रीय दवा नियामक निकाय केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की मासिक ड्रग अलर्ट सूची के तहत साझा किया गया है, जिसे नियमित निगरानी के हिस्से के रूप में जारी किया जाता है।

NSQ के अंतर्गत वह दवाएं आती हैं जो निर्धारित गुणवत्ता मानकों — जैसे कि सक्रिय घटक की मात्रा, शुद्धता, स्थिरता और अन्य तकनीकी पैमानों — पर खरा नहीं उतरतीं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह केवल जांच किए गए बैचों तक सीमित है और इसका अर्थ यह नहीं है कि उसी ब्रांड की सारी दवाएं खराब हैं या बाजार में उपलब्ध सभी उत्पादों पर यह निर्णय लागू होता है।

इस महीने की जांच में केंद्रीय और राज्य दोनों प्रयोगशालाओं ने कुल 205 दवा नमूनों को NSQ दर्ज किया, जिसमें से केंद्रीय प्रयोगशालाओं की पहचान की गई 64 दवाएं और राज्य प्रयोगशालाओं की पहचान की गई 141 दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं को CDSCO की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है ताकि जनता, चिकित्सक और फार्मासिस्ट इसकी सूचना ले सकें और आवश्यक सावधानियाँ बरत सकें।

साथ ही, केंद्रीय जांच में उत्तर क्षेत्र (गाजियाबाद) से दो दवा नमूने “नकली (spurious)” के रूप में भी पाए गए, जिनके निर्माण में अनधिकृत निर्माता द्वारा किसी अन्य कंपनी के ब्रांड नाम का दुरुपयोग किया गया था। इन मामलों की आगे जांच और क़ानूनी कार्रवाई के लिए प्रशासन पहले से ही सक्षम प्राधिकरणों को सौंप दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि यह नियमित निगरानी और वैज्ञानिक परीक्षण की प्रक्रिया का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए लागू की जाती है कि बाजार में उपलब्ध दवाएँ सुरक्षित और प्रभावकारी हों। NSQ या नकली दवाओं का पता चलने पर उन्हें बाजार से हटाने और संबंधित बैच को नियंत्रित करने के उपाय तत्काल किये जाते हैं ताकि रोगियों की स्वास्थ्य सुरक्षा बनी रहे

विशेषज्ञों का कहना है कि न सिर्फ बड़े शहरों में बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी ज़रूरी है, क्योंकि घटिया दवाएं न केवल उपचार में विफलता का कारण बन सकती हैं, बल्कि गंभीर दुष्प्रभाव और रोग की स्थिति में बढ़ोतरी का जोखिम भी पैदा कर सकती हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य नियामक एजेंसियों की यह सामूहिक निगरानी उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच का काम करती है।

सरकार द्वारा जारी यह अलर्ट एक नियमित मासिक अभ्यास है, जिसमें परीक्षण के दौरान जो भी दवा नमूने NSQ या नकली पाए जाते हैं, उनकी सूची नियमित रूप से अपडेट की जाती है। जनता के लिए यह जानकारी उपलब्ध कराना और गुणवत्ता मानकों पर खरी न उतरने वाली दवाओं को हटाना स्वास्थ्य अधिकारियों की प्राथमिकता है।

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