नई दिल्ली, 1 सितंबर 2025 — तकनीकी नवाचार और सुविधा की दुनिया में एक नया चौंकाने वाला प्रयोग सामने आया है: ई-रिक्शा में फिट की गई चलती फिरती ATM मशीन, जिससे लोगों को चलती गति में ही नकद निकासी (withdraw money on the go) की सुविधा मिल रही है। यह अनूठा प्रयोग सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
अभी हाल ही में एक वीडियो विभिन्न डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर वायरल हुआ, जिसमें एक ई-रिक्शा के पीछे एक ATM मशीन लगी हुई दिखाई देती है। इसमें रिक्शा चालक साधारण से कार्ड स्वाइप करके नकद निकासी की सुविधा मुहैया कराता नजर आ रहा है। यह दृश्य देखकर आम नागरिकों के साथ-साथ बैंकिंग और रेगुलेटरी विशेषज्ञों में भी आकर्षण और आश्चर्य दोनों फैले हुए हैं।
सुविधा या जोखिम—दो पहलू
इस प्रयोग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बताता है कि बैंकिंग सेवाओं को पारंपरिक एटीएम के बाहर भी विस्तारित किया जा सकता है—विशेषकर उन इलाकों में जहां ATM नजदीक नहीं हो। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह विकल्प पंसद किया जा सकता है जहाँ सुविधाजनक और तत्काल नकद उपलब्धता की आवश्यकता होती है।
लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा और वैधानिकता की चिंताएँ भी उठती हैं। ATM संचालन के दौरान PIN की गोपनीयता, डेटा सुरक्षा, नकदी की सुरक्षा और सही बैंकिंग ट्रांजैक्शन की सत्यापन प्रक्रिया जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। अगर यह प्रयोग बिना बैंकिंग रेगुलेशन के किया गया है, तो यह ग्राहकों और बैंक दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
व्यापक संदर्भ और भविष्य
चलती ATM की अवधारणा देश में बिल्कुल नई है, लेकिन बाहरी दुनिया में ‘mobile ATM vans’ की अवधारणा समय-समय पर प्रयोग में रही है—जैसे भारत में ट्रेन में ATM, या पंजाब स्थित बोर्ड-आधारित मोबाइल बैंकिंग वैनIndia TV News।
फिर भी, ई-रिक्शा पर ATM लगाकर नकद की निकासी करवाना एक अभिनव कदम है जो यह दर्शाता है कि कैसे बैंकिंग सेवाएं फैली और गतिशील हो सकती हैं। यदि बैंक और तकनीकी साझेदार इस प्रयोग को सही तरीके से संरचित कर लें—जैसे सुरक्षित PIN पिनपैड, ऑथेंटिकेशन प्रोटोकॉल, लाइव निगरानी, और ट्रांजैक्शन लॉग—तो यह नई सेवा आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में क्रांति ला सकती है।