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‘डंकी रूट’ मानव तस्करी रैकेट पर ED का बड़ा हमला: पंजाब-हरियाणा-दिल्ली में 13 ठिकानों पर छापेमारी, नकदी-सोना-चांदी बरामद

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नई दिल्ली/जालंधर — प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘डंकी रूट’ मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ एक व्यापक और तेज़ कार्रवाई करते हुए गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 13 स्थानों पर संयुक्त छापेमारी की। यह कार्रवाई उन ट्रैवल एजेंटों और दलालों के खिलाफ है, जो कथित रूप से भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने के लिए एक जटिल नेटवर्क का संचालन कर रहे थे और इसके माध्यम से भारी रकम की अदायगी ले रहे थे।

ED की जालंधर जोनल टीम ने इन तीनों राज्यों में तलाशी अभियान चलाया और कई सामग्री तथा सबूत बरामद किए। दिल्ली के एक ट्रैवल एजेंट के ठिकाने से ₹4.62 करोड़ नकद, 313 किलो चांदी और 6 किलो सोने के बुलियन जब्त किये गए, जिनकी कुल कीमत लगभग ₹19.13 करोड़ बताई जा रही है। इसके अलावा, एजेंटों और उनके साथियों के डिजिटल चैट, दस्तावेज़ और बैंकिंग से जुड़े प्रमाण भी मिले हैं, जो इस अवैध रैकेट के संचालन की योजनाबद्ध प्रकृति को उजागर करते हैं।

छापेमारी के दौरान ED को कई आरोपियों के मोबाइल फोन, चिट्ठियाँ और आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं, जिनसे यह पता चलता है कि ये एजेंट और उनके नेटवर्क के सदस्य दावेदारों से भारी अग्रिम भुगतान लेते थे। जांच अधिकारियों के अनुसार, कई मामलों में इन ट्रैवल एजेंटों ने ग्राहकों की संपत्ति के दस्तावेजों को गिरवी रखकर यह सुनिश्चित किया कि पैसा समय पर मिल जाये। ऐसा दस्तावेज़ी साक्ष्य हरियाणा स्थित एक प्रमुख नेटवर्क सदस्य के ठिकाने से मिला, जिससे यह रणनीति सामने आई।

‘डंकी रूट’, जिसे कभी-कभी ‘डंकी’ या ‘डंकी रूट’ भी कहा जाता है, एक ऐसे ग़ैरक़ानूनी मार्ग को संदर्भित करता है जिसके ज़रिये लोग बिना वैध वीजा और अनुमति के मेक्सिको और अन्य देशों के रास्ते अमेरिका पहुँचते हैं। इस कठिन और जोखिम भरे रास्ते से 2025 के शुरू में लगभग 330 भारतीय नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका से वापस भेजा गया, जिसके बाद पुलिस और ED ने मसले से सम्बंधित एफआईआर दर्ज की और इस रैकेट पर जांच तेज़ कर दी।

ED की इस कार्रवाई के दौरान विभिन्न रिहायशी जगहों, आवासों और एजेंट कार्यालयों पर तलाशी ली गयी। जांच में यह भी पता चला है कि रैकेट का संचालन केवल ट्रैवल एजेंटों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें मिडिलमेन, लॉजिस्टिक्स प्रदाता और अवैध रूप से जुड़े अन्य सहयोगी भी शामिल थे। ED अब इस नेटवर्क के मोदीस ऑपरेण्डी (रैकेट के काम करने के तरीके), धन के स्रोत और वितरण चैनलों का विस्तृत विश्लेषण कर रही है ताकि इसकी पूरी परतें उजागर की जा सकें।

सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि यह कार्रवाई मनुष्य तस्करी और अवैध आप्रवासन की चेन को तोड़ने के लिए एक निर्णायक कदम है। जांच एजेंसी की मान्यता है कि ऐसे रैकेट न केवल देश के कानूनों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि भारतीय युवाओं और परिवारों को भी जोखिमपूर्ण और जोखिम भरे प्रयासों के लिए प्रेरित करते हैं। ED अब प्राप्त सबूतों के आधार पर आगे की मनी लॉन्ड्रिंग तथा आपराधिक साज़िशों की धाराओं के तहत आगे की कार्रवाई और संभावित गिरफ्तारियों की तैयारी कर रही है।

इस मामले की गहराई यह भी दिखाती है कि अवैध आप्रवासन संगठनों की गतिविधियाँ अब प्रायः राष्ट्रीय सीमा से परे एक वित्तीय अपराध नेटवर्क का रूप ले चुकी हैं, जिसमें भारी नकदी, मोल-बदल वाले दस्तावेज़ और अन्य सामग्री के ज़रिये लोगों को विदेश भेजने का वादा किया जाता है। ED अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी जारी है और रैकेट के मुख्य सरगना और उसके सहयोगियों तक पहुंचने के प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि देश के युवाओं के साथ होने वाले इस तरह के शोषण को रोका जा सके।

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