
अमेरिका और कनाडा के बीच रक्षा सौदे को लेकर तल्खी बढ़ गई है। कनाडा 88 F‑35 स्टील्थ फाइटर जेट्स की खरीद की समीक्षा कर रहा है और सोचा जा रहा है कि फैसला 22 सितंबर 2025 तक आ जाएगा। यदि कनाडा इस डील को रद्द करता है, तो अमेरिका ने “गंभीर परिणाम” भुगतने की चेतावनी दी है।
यह वही F‑35 जेट है जिसे अमेरिका भारत को बेचने का प्रस्ताव दे चुका है। हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
F‑35 डील क्या है और समीक्षा क्यों हो रही है?
F‑35 एक पाँचवीं पीढ़ी का एडवांस्ड स्टील्थ फाइटर जेट है, जो रडार से बचने और आधुनिक हथियारों से लैस है।
कनाडा ने इस सौदे को 2010 में तय किया था, जिसमें पुराने CF‑18 जेट्स को बदलने के लिए ये F‑35 विमान खरीदे जाएंगे। कुल लागत अनुमानित 19 बिलियन कनाडाई डॉलर (लगभग ₹1.1 लाख करोड़) आंकी गई थी।
लेकिन परियोजना में देरी और लागत बढ़ने की शिकायतें बढ़ीं, इसलिए कनाडा सरकार ने समीक्षा शुरू की है।
अमेरिका की चेतावनी: क्या हो सकते हैं परिणाम?
संयुक्त NORAD (North American Aerospace Defense Command) की भूमिका के कारण अमेरिका चाहता है कि दोनों देश एक जैसा फाइटर बेड़े इस्तेमाल करें। कनाडा अगर कोई अलग बेड़ा अपनाता है तो उस “एकरूपता” (interoperability) पर असर पड़ेगा।
अमेरिका का तर्क है कि यदि कनाडा ने F‑35 डील वापस ली, तो स्पेयर पार्ट्स, रख‑रखाव, प्रशिक्षण आदि में कठिनाइयाँ होंगी और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग प्रभावित होगा।
विकल्प और नतीजे
कनाडा ने स्वीडन के Gripen JAS-39 को एक संभावित विकल्प के रूप में देखा है, क्योंकि यह हल्का, सस्ता और बहुमुखी है।
लेकिन इस विकल्प से लागत कम हो सकती है, पर तकनीकी स्तर और युद्ध‑उद्योग सहयोग में F‑35 जितनी “उन्नत” क्षमताएँ नहीं होंगी।