दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों को लेकर जारी लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर 2025) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस सुनवाई में कोर्ट ने यह संकेत दिया कि ग्रीन पटाखों (कम प्रदूषण वाले पटाखे) के उपयोग को कुछ शर्तों और समयसीमाओं के अंदर अनुमति दी सकती है। हालांकि इस पर अभी कोई अंतिम आदेश नहीं आया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष निवेदन किया कि त्योहारों के अवसर पर बच्चों को पूरी तरह वर्जित न किया जाए। उन्होंने कहा कि कम से कम दो दिन बच्चों को पटाखे जलाने की छूट दी जानी चाहिए और समयसीमा न लगाई जाए। मेहता ने हल्के अंदाज में कहा, “मेरे अंदर का बच्चा आपके अंदर के बच्चे को मनाने की कोशिश कर रहा है”.
साथ ही, मेहता ने सुझाव दिया कि केवल NEERI और PESO द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों की ही बिक्री और उपयोग की अनुमति हो, जबकि पारंपरिक “लड़ी वाले पटाखों” पर प्रतिबंध जारी रखा जाए।
कोर्ट की दूसरी तरफ से टिप्पणी थी कि पूर्ण रूप से पटाखों पर प्रतिबंध लगाना “व्यवहार्य या आदर्श” नहीं है। बेंच ने यह विचार व्यक्त किया कि यदि ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग को नियंत्रित किया जाए तो एक तरह का संतुलन स्थापित किया जा सकता है।
इस मुद्दे की पृष्ठभूमि यह है कि 26 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने NEERI और PESO द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों को निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन NCR में उनकी बिक्री को अभी तक निषिद्ध रखा गया था। इसके अनुरूप केंद्र सरकार व अन्य पक्षों को सभी हितधारकों से विचार-विमर्श करने को कहा गया था।
सुनवाई दौरान कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि 2018 में पटाखों पर रोक लगाए जाने के बाद क्या वास्तव में दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मेहता ने इस पर कहा कि सुधार बहुत सीमित रहा है और COVID-19 के दौरान कुछ समय के लिए स्थितियाँ बेहतर हुई थीं, परंतु उनका कहना था कि वह मौसम, यातायात और अन्य प्रदूषण स्रोतों का परिणाम था, न कि केवल पटाखों के प्रतिबंध का।
जब सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने त्योहार पर समयसीमा का प्रस्ताव रखा कि Diwali पर रात 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति हो, बेंच ने इस पर अभी निर्णय लेने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि इस विषय पर सुनवाई के बाद आदेश जारी करेंगे।
इस पूरे प्रकरण की संवेदनशीलता इस तथ्य में निहित है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर वर्षों से चिंता बनी हुई है, और विशेष रूप से दीवाली के बाद हवा की गुणवत्ता और भी तेजी से बिगड़ती है। ऐसे में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने और छोड़ी गई छूटों के बीच न्यायालय को संतुलन बनाए रखना है।