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अलीगढ़ में मंदिर-दीवारों पर ‘I Love Muhammad’ लिखा जाने से तनाव

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उत्तर प्रदेश के Aligarh जिले के गांवों में एक मामूली-लगा-वंश-मामला अचानक साम्प्रदायिक रूप लेता हुआ सामने आया है। शनिवार की सुबह-सुबह दो गांव, Bhagwanpur और Bulaki‑garh में स्थित पांच मंदिरों की दीवारों पर बड़े अक्षरों में “I Love Muhammad” लिखा पाया गया — जिसने आस्थावान समुदायों में गहरा आक्रोश फैला दिया है।

स्थानीय लोगों ने घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मंदिर-मोहल्लों की दीवारों पर लिखे इस संदेश का फोरेंसिक विश्लेषण कराया, सीसीटीवी फुटेज खंगाले, और तुरंत आठ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की — जिनके नाम वरिष्ठ अधिकारी ने बताए हैं।

उल्लेखनीय है कि पुलिस ने जिन आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है — उनमें मुस्तकीम, गुल मोहम्मद, सुलेमान, सोनू, अल्लाहबख्श, हमीद और यूसुफ शामिल हैं — उन पर “धार्मिक भावनाएँ भड़काने” तथा “सार्वजनिक शांति भंग करने” की धाराओं में कार्रवाई की गई है।

इस बीच, स्थानीय संगठन Karni Sena ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि आरंभिक कार्रवाई लापरवाह रही, और कुछ पुलिसकर्मियों ने मंदिर की दीवारों से “I Love Muhammad” लिखे नारे मिटाने का प्रयास किया था — जिससे विश्वास कम हुआ कि विरोधी-तत्व जानबूझकर माहौल भड़काना चाहते थे।

हालांकि जिला पुलिस ने माहौल नियंत्रित बताया है और बताया गया है कि अतिरिक्त पुलिस बल मोर्चे पर तैनात किया गया है। एसएसपी ने स्पष्ट किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और मामले की गहराई से जांच चल रही है।

यह घटना उस बड़े संदर्भ में भी देखी जा रही है जहाँ समाज में ऐसे लेखन-प्रिंट द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द को चुनौती दी जा रही है। पहले भी विभिन्न राज्यों में “I Love Muhammad” लिखावट को लेकर विरोध-प्रदर्शन या तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।

विश्लेषण के दृष्टिकोण से, इस प्रकरण में सिर्फ एक ग्रैफिटी-कार्य नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक विसंगति, पुरानी भूमि-विवादों का ओवरलैप, और धार्मिक आस्था व सार्वजनिक शांति के बीच संवेदनशील संतुलन का एक नया अध्याय दिखाई देता है। मंदिर की दीवारों पर, धार्मिक स्थल पर इस प्रकार का संदेश लिखना सीधे उस समुदाय की आस्थाओं को छू सकता है, जिससे प्रत्युत्तर में प्रतिक्रिया-क्रिया श्रृंखला चल सकती है।

उत्पन्न जोखिम इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यदि ऐसे प्रकरण समय रहते नियंत्रित न हों, तो यह छोटे-मोटे विवाद से आगे बढ़कर व्यापक सामाजिक तनाव, विरोध-प्रदर्शन या फिर कानून-व्यवस्था की समस्या तक ले जा सकते हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और समुदाय-नेताओं को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि न केवल दोषियों को चिन्हित किया जाए बल्कि ऐसा माहौल बनाएं जहाँ सभी वर्गों की आस्थाओं का सम्मान हो और संवेदनशील लिखावट-उपक्रमों से सामाजिक सौहार्द नहीं बिगड़े।

अभी यह देखने की बात है कि आगे की जांच में क्या कारण सामने आते हैं — क्या यह लेखन व्यक्तिगत उत्प्रेरित था, या किसी संगठन-स्तर पर योजनाबद्ध देकर माहौल भड़काने की चेष्टा थी। और इसके आगे स्थानीय प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है — ग्रैफिटी हटाने, लेखकों की पहचान, प्रभावित समुदायों को भरोसा दिलाने व आगामी घटनाओं को रोके रखने की दिशा में।

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