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ए जीएसटी स्लैब लागू होने के बाद पीएम मोदी की पहली “मन की बात”

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देशभर में नए जीएसटी स्लैब (GST slabs) लागू हो चुके हैं और इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रविवार की “मन की बात” कार्यक्रम के 126वें एपिसोड के ज़रिए जनता को संबोधित किया — यह उनकी पहली “मन की बात” है जो जीएसटी प्रणाली में बदली गई व्यवस्था लागू होने के बाद आई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कहा कि यह बदलाव केवल कर दरों (tax rates) में कटौती नहीं है, बल्कि यह सिस्टम को सरल, पारदर्शी और जनता-हितैश बनाना है। उन्होंने यह विश्वास जताया कि ये सुधार मध्यम वर्ग, महिलाओं, युवा और छोटे व्यापारियों तक मूर्त लाभ पहुंचाएंगे।

उन्होंने नई दरों की तुलना पुरानी व्यवस्था से करते हुए समझाया कि अब देश में केवल दो प्रमुख दरें — 5% और 18% — होगी, और इससे लोगों को ‘साधारणता’ की सुविधा मिलेगी। मोदी ने यह भी कहा कि यह कदम “GST 2.0” की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो सिर्फ कर व्यवस्था का सुधार नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टि से लोगों के जीवन में सहजता लाने वाला प्रयास है।

नए स्लैब लागू होने के बाद मोदी ने जनता को आश्वस्त किया कि यदि कोई वस्तु महंगी हो जाए, तो वह अस्थायी प्रभाव हो सकता है, लेकिन समग्र रूप से लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह रियायत “बचत उत्सव” (GST Bachat Utsav) के रूप में माना जाना चाहिए — जहां हर भारतीय को राहत मिलेगी और खर्च करने की शक्ति बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने खास जोर दिया कि इस सुधार के बाद स्वदेशी (Swadeshi) वस्तुओं को अपनाने की भूमिका अब और मजबूत हो जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और रोज़गार सृजन हो सके।

उनका यह संदेश था कि यह बदलाव सिर्फ अर्थनीति का कदम नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक आंदोलन है, जिसमें हर नागरिक सहभागी बने। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन “भाषणों का नहीं, परिणामों का” होगा और सरकार इसे सिर्फ घोषणा तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि सतत निगरानी और सुधार करती रहेगी।

इस बीच, विपक्ष और कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम की समयिंग और बयानबाजी पर टिप्पणी की है — कुछ ने इसे जनता को मनोबल देने वाली पहल माना है, जबकि अन्य ने यह कहा है कि इस तरह की घोषणाएँ बिना वास्तविक क्रियान्वयन और निगरानी के अधूरी रह सकती हैं।

कुल मिलाकर, यह “मन की बात” कार्यक्रम नए जीएसटी स्लैब लागू होने के बाद सरकार की प्राथमिक सोच, जनता को लौह संदेश और आर्थिक सुधारों के प्रति भरोसा बढ़ाने का एक मंच बनकर उभरा है।

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