
भारत और बांग्लादेश की सीमा पर खुफिया एजेंसियों में सतर्कता बढ़ा दी गई है, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) से जुड़े और हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के करीबी माने जाने वाले इब्तिसाम इलाही जहीर (Ibtisam Elahi Zaheer) ने हाल ही में बांग्लादेश का दौरा किया है। जहीर, जो पाकिस्तान के इस्लामी संगठन Markazi Jamiat Ahl-e-Hadith के महासचिव हैं, 25 अक्टूबर 2025 को ढाका पहुंचे और उसके बाद उन्होंने राजशाही, चपईनवाबगंज और रंगपुर जैसे बांग्लादेश-भारत सीमावर्ती जिलों का दौरा किया। खुफिया सूत्रों के अनुसार, जहीर ने इन क्षेत्रों में कई धार्मिक सभाओं को संबोधित किया और स्थानीय कट्टर इस्लामी संगठनों से मुलाकात की। एजेंसियों को आशंका है कि उनके इन दौरों के पीछे कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और सीमापार स्लीपर सेल (sleeper cells) को सक्रिय करने की कोशिश हो सकती है।
भारतीय खुफिया विभाग ने इस गतिविधि को बेहद गंभीर माना है, क्योंकि इन सीमावर्ती इलाकों में पहले भी चरमपंथी गतिविधियों (radicalisation) और घुसपैठ (infiltration) की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। एजेंसियों का मानना है कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन अब प्रत्यक्ष हमलों की बजाय विचारधारात्मक प्रसार के माध्यम से स्थानीय युवाओं को अपने जाल में फँसाने की रणनीति अपना रहे हैं। इस कारण भारत ने बांग्लादेश बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी है और संदिग्ध धार्मिक संस्थानों की निगरानी तेज कर दी गई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इब्तिसाम इलाही जहीर जैसे लोगों की यात्राएँ दक्षिण एशिया में आतंक के नए नेटवर्क बनाने की कोशिश का हिस्सा हो सकती हैं। यह स्थिति न केवल बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती है। इसीलिए दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों ने अब इंटेलिजेंस शेयरिंग (intelligence sharing) बढ़ाने और संयुक्त निगरानी पर जोर दिया है ताकि किसी भी चरमपंथी गतिविधि को समय रहते रोका जा सके।



