
150 से अधिक Hamas आतंकियों की पाँच-सितारा रिसॉर्ट में ठहरने की जानकारी
मध्य पूर्व की जटिल सुरक्षा परिस्थितियों में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने वैश्विक सुरक्षा जगत को झकझोर दिया है। जानकारी मिली है कि आठ महीने पूर्व Israel Defense Forces (आईडीएफ) द्वारा गिरफ़्तार किये गए और हाल ही में परिवर्तित समझौते के तहत रिहा किए गए 150 से अधिक आतंकियों को अब Cairo के एक पाँच-सितारा होटल/रिसॉर्ट में ठहराया गया है — जहाँ वे आम नागरिकों व पर्यटकों के बीच रह रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ये आतंकियों का समूह Renaissance Cairo Mirage City Hotel नामक विशिष्ट पांच-सितारा होटल में ठहरा हुआ है। इस होटल में अन्य विदेशी और स्थानीय पर्यटक भी ठहरे हुए हैं और माना जा रहा है कि आतंकियों व आम नागरिकों के बीच पर्याप्त अलगाव नहीं है — जिससे सुरक्षा खतरों के दृष्टिकोण से गंभीर चिंताएं उठ रही हैं।
यह मामला इसलिए और संवेदनशील हो जाता है क्योंकि ये आतंकी पहले जीवन-सजा काट रहे थे और बड़े पैमाने पर हिंसक गतिविधियों में शामिल पाए गए थे — समझौते में रिहा होकर ये अब एक “आरामदायक” पर्यटक-परिस्थिति में आ गए हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ इस बात पर चिंतित हैं कि इस तरह के ठहराव-प्रबंध से इन आतंकियों को नेटवर्क पुनर्स्थापित करने, प्रशिक्षण पाने, या अन्य राज्यों / समूहों से संपर्क विकसित करने का अवसर मिल सकता है।
विश्लेषण करें तो इस घटना के पीछे कई जटिलताएँ दिखाई देती हैं:
सबसे पहले, यदि यह जानकारी सही है कि आतंकियों को ऐसे होटल में जारी रखा गया है जहाँ पर्यटक सामान्य रूप से ठहरे हैं, तो यह “सामान्य स्थिति में छिप कर सक्रिय रहने” जैसी रणनीति को बढ़ावा दे सकती है।
दूसरा, स्थान — मिस्र की राजधानी काहिरा में एक प्रमुख होटल — यह दर्शाता है कि यह निर्णय संभवतः अंतर-राष्ट्रीय कूटनीति, समझौते और ट्रैकिंग के समन्वय में लिया गया होगा; लेकिन उसके बाद नियंत्रण के तंत्र कितने हैं, यह सवाल बनता है।
तीसरा, इस तरह की घटना से पर्यटन-क्षेत्र, स्थानीय प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियों को भी जोखिम अधिक हो जाता है — यदि आतंकी गतिविधियों के लिए यह “कम-उपयोगी” जगह बन जाए तो इसका असर व्यापक होगा।
चौथा, यह मामला मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष, रिहा किए गए कैदियों की दशा और उनके बाद की निगरानी-प्रक्रिया की कमजोरियों पर भी सवाल खड़ा करता है।
इसके साथ ही, यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मानवीय व कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह संकेत देता है कि युद्ध-समझौते, बंदियों की रिहाई और उनकी आगे की गतिविधियों पर निगरानी-व् नियंत्रण लुप्त नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ, तो यह न सिर्फ स्थानीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा-परिस्थिति के लिए चुनौती बन सकता है।
मुख्य सवाल यह है कि इस ठहराव की व्यवस्था किसने की, इनके गतिविधियों पर किस देश/एजेंसी की नजर है, और क्या उन पर प्रतिबंध/निगरानी व्यवस्था लागू की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ आतंकियों ने बैंक एटीएम से बड़ी रकम निकलते हुए देखे गए हैं — जिससे वित्तीय गतिविधियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
भारत सहित कई देश इस पर गंभीर नजर रख रहे होंगे क्योंकि इस तरह की गतिविधियाँ सरहदों, प्रतिरक्षा-रखरखाव व आतंक-निवारण नीतियों को प्रभावित कर सकती हैं। अब यह देखने की बात होगी कि मिस्र, इस्राइल, अमेरिका व अन्य मध्यस्थ देश इस पर क्या कार्रवाई करते हैं — क्या इन आतंकियों को पुनः निरीक्षण व नियंत्रण के दायरे में लाया जाएगा, क्या पर्यटन-होटल में उनकी उपस्थिति को बदलने के लिए प्रबंध होंगे, और क्या अन्य राज्यों को भी इससे संदेश मिलेगा कि इस तरह की व्यवस्था जोखिम-पूर्ण है।



