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नागार्जुन ने दिल्ली हाईकोर्ट का आभार जताया

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तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता अक्किनेनि नागार्जुन ने सार्वजनिक रूप से दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का धन्यवाद किया है, क्योंकि अदालत ने उनकी “व्यक्तित्व अधिकारों” (personality rights) की रक्षा करने का आदेश पारित किया है — विशेषकर उस डिजिटल युग में, जहाँ उनकी छवि, नाम और व्यक्तित्व की अनाधिकृत उपयोग की घटनाएँ बढ़ती जा रही थीं।

नागार्जुन ने अपनी आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) प्रोफ़ाइल पर लिखा है:

“Grateful to the Hon’ble Delhi High Court for protecting my personality rights in today’s digital age. The vital legal strategy and arguments were led by Senior Counsel Mr. Vaibhav Gaggar, and Mr. Pravin Anand alongwith Ms. Vaishali, Mr. Somdev, and Mr. Vibhav. Thank you for standing by me.” Hindustan Times+1

उनकी याचिका में उन्होंने तीन मुख्य प्रकार की उल्लंघन गतिविधियाँ दर्ज कराईं, जिन पर वे विशेष रूप से न्यायालय से राहत की मांग कर रहे थे:

  1. पोर्नोग्राफिक सामग्री, जिसमें उनकी छवि को बिना अनुमति के गलत और अपमानजनक ढंग से प्रस्तुत किया जाना।

  2. अनधिकृत व्यापारिक उपयोग (Merchandising) — उनके नाम, फोटो या पहचान को व्यावसायिक उत्पादों में बगैर अनुमति उपयोग करना।

  3. AI-जनित सामग्री (AI-generated content) — जैसे उन पर आधारित मोर्फ वीडियो या डिजिटल रूपांतरित सामग्री, जो मूल रूप से उनके नियंत्रण में नहीं थी, लेकिन इंटरनेट पर प्रसारित हो गयी।

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह माना कि यद्यपि इंटरनेट पर एक बार किसी सामग्री को अपलोड कर दिया जाए, तब भी वह AI मॉडल्स द्वारा उपयोग की जा सकती है, चाहे वह मूल रूप से सत्य हो या न हो। न्यायाधीश तेजस करिया ने कहा कि यथोचित URLs की पहचान हो जाने पर, उन लिंक को हटाने का निर्देश देना उचित होगा। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि इन निषेधाज्ञाओं (injunctions) को कितने समय तक बनाए रखना संभव होगा, क्योंकि सार्वजनिक हस्तियों की प्रसिद्धि लंबे समय तक बनी रहती है।

न्यायालय ने अस्थायी रूप से उन वेबसाइटों और प्लेटफार्मों पर निर्देश देने की संभावना जताई है, जहाँ नागार्जुन की पहचान का दुरुपयोग हुआ है — विशेष रूप से उन 14 URL-का पता न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जिन्हें तुरंत हटाने का आदेश जारी किया जा सकता है।

नागार्जुन की टीम में वरिष्ठ वकील वैभव गग्गर, प्रवीन आनन्द, वैशाली मित्तल, विभव मिथाल, शिवांग शर्मा आदि शामिल रहे, जिन्होंने याचिका की कानूनी रणनीति तैयार की और अदालत के सामने प्रस्तुत की।

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस तरह की याचिकाएँ अब किसी अनसुनाई बात नहीं रह गई हैं — इससे पहले बॉलीवुड कलाकार ऐश्वर्या राय बच्‍चन, अभिषेक बच्‍चन, करण जौहर सहित कई हस्तियों ने भी अपने पहचान अधिकारों की रक्षा हेतु दिल्ली HC में याचिका दायर की है।

अभी, अदालत ने इस मामले को अगले न्यायिक सत्र (23 जनवरी) के लिए सूचीबद्ध किया है, ताकि विस्तृत आदेश पारित किया जा सके और यह स्पष्ट किया जा सके कि उन प्लेटफार्मों और URL को कैसे हटाया जाए और इन उल्लंघनों को नियंत्रित कैसे किया जाए।

इस फैसले का महत्व न केवल नागार्जुन के लिए है, बल्कि समूचे मनोरंजन उद्योग और डिजिटल कंटेंट की दुनिया के लिए भी एक संकेत है — यह बताता है कि अब सार्वजनिक हस्तियों की छवि, नाम और पहचान केवल टैक्सोनॉमी नहीं हैं, बल्कि कानूनी सुरक्षा के दायरे में आती हैं। AI और इंटरनेट की व्यापकता के युग में, ऐसे निर्णय यह दिशा निर्धारित करेंगे कि डिजिटल दुनिया में व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए।

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