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हिसार पुलिस ने 61 मामले दर्ज आरोपी गैंगस्टर दलजीत सिहाग को बेड़ियों में बांधकर बाजार में घुमाकर भेजा सख्त संदेश

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हरियाणा के हिसार जिले में पुलिस ने अपराधियों के प्रति शून्य सहनशीलता का एक नाटकीय और कड़ा संदेश भेजा है। हिसार की हांसी पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर दलजीत सिहाग को, जिनके खिलाफ करीब 61 गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, बेड़ियों (हथकड़ी) में बांध कर हांसी-बाजार में पैदल परेड करवाई। यह कदम न सिर्फ कानून व्यवस्था को दृढ़ता का परिचायक बनाता है, बल्कि समाज में अपराधियों के डर को तोड़ने और जनता के सामने एक सबक पेश करने की रणनीति भी साबित हो रहा है।

पुलिस की यह कार्रवाई DGP O.P. सिंह के निर्देश पर की गई है, और इसे एक विशेष अभियान के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत न केवल बड़े अपराधियों को पकड़ना है, बल्कि जनता को संदेश देना भी है कि अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिसार पुलिस ने दलजीत को झज्जर से एक दिन के प्रोडक्शन रिमांड पर लाया था, और उसके रिमांड के दौरान ही उसे बेड़ियों में बांधकर घंटों तक बाजारों में घुमाया गया।

दलजीत सिहाग पर फिरौती, लूटपाट, जानलेवा हमला, और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप हैं। कुल मिलाकर 61 मुकदमे दर्ज हैं, जो उसकी स्थिति को बेहद खतरनाक अपराधी के रूप में दर्शाते हैं। पुलिस ने बताया है कि इस सार्वजनिक परेड के जरिए एक तरफ अपराधियों में भय बढ़ाने का मकसद है, तो दूसरी ओर आम लोगों को यह बताना कि अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी है और अपराधियों की इमेज को पब्लिक प्लेटफार्म पर चुनौती दी जा रही है।

लोगों की प्रतिक्रिया मिलाजुली रही — कुछ ने पुलिस की इस कार्रवाई की जमकर सराहना की क्योंकि उनका मानना है कि यह कदम अपराधियों को जनता के बीच बेनकाब करना है, जबकि अन्य बताता हैं कि ऐसे सार्वजनिक प्रदर्शन कानून की मर्यादा और मानवाधिकारों की कसौटी पर सवाल उठाते हैं।

विश्लेषण की दृष्टि से, यह घटना दोहरे मायने रखती है। एक ओर, यह पुलिस के लिए पब्लिक कंट्रोल दिखाने का एक मंच है — यह दिखाता है कि पुलिस सिर्फ गिरफ्तारी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपराधियों को समाज के सामने अपनी प्रकृति के साथ पेश कर सार्वजनिक चेतना को जागृत करना चाहती है। दूसरी ओर, यह कदम यह भी दर्शाता है कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ व्यापक जन-सहमति की आवश्यकता है, ताकि अपराधियों का सामाजिक आधार कमजोर हो सके और उनकी दहशत की छवि को तोड़ा जाए।

हालाँकि, इस तरह की प्रदर्शनात्मक कार्रवाई में खतरा भी होता है: यदि इसे सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट के रूप में देखा जाए, तो यह लंबे समय में असरदार न हो। इसके लिए पुलिस को साथ ही कानूनशुदा मुकदमों, न्यायिक प्रक्रियाओं और पुनर्वास की रणनीतियों पर भी काम करना होगा।

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