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दिल्ली-NCR की रक्षा के लिए नया कदम: स्वदेशी मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम

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हाल ही में सरकार ने फैसला किया है कि Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) — एक स्वदेशी (Made-in-India) बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली — जल्द ही दिल्ली-NCR क्षेत्र में तैनात की जाएगी। यह फैसला राजधानी और आसपास के क्षेत्र में मिसाइल, ड्रोन और अन्य संभावित हवाई हमलों — चाहे वे सीमावर्ती तकरार हों या आतंक-वाद संबंधी — को रोकने एवं neutralize करने की तैयारी के तौर पर लिया गया है।

यह पहल Defence Research and Development Organisation (DRDO) और रक्षा मंत्रालय की ओर से की जा रही है, और इसे आगामी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अहम माना जा रहा है।


 IADWS — क्या है, कैसे काम करेगा

IADWS एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस कवच है — यानी सिर्फ एक मिसाइल या रडार नहीं, बल्कि कई अलग-अलग यंत्रों और हथियारों का संयोजन, जो मिलकर हवाई खतरों का सामना करेंगे।

मुख्य घटक:

  • Quick Reaction Surface to Air Missile (QRSAM) — जमीन से हवा में दागने वाली मिसाइल, जो मध्यम दूरी तक के लक्ष्यों (जैसे ड्रोन, हेलीकॉप्टर, उड़न तश्क़ी उड़ान वाले विमान) को intercept कर सकती है।

  • VSHORADS (Very Short Range Air Defence System) — छोटे दूरी और कम ऊँचाई वाले लक्ष्यों के लिए, जैसे स्वॉर्म ड्रोन, हल्के विमान, हेलीकॉप्टर आदि।

  • Directed Energy Weapon (DEW) — लेजर-आधारित ऊर्जा हथियार — विशेष रूप से ड्रोन और अन्य छोटे, तेज-उड़न वाले लक्ष्य को नष्ट करने के लिए। यह kinetic (मिसाइल) और non-kinetic (लेजर) दोनों प्रकार के उत्तर देता है।

इन सभी को एक केंद्रीकृत कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर के ज़रिए नियंत्रित किया जाएगा, जो लक्ष्य की पहचान, ट्रैकिंग और लेकर जवाबी कार्रवाई को संयोजित रूप से संचालित करेगा।


क्यों यह कदम जरूरी — बदलती सुरक्षा चुनौतियाँ

  • हालाँकि भारत ने पहले से सीमावर्ती इलाकों में वायु रक्षा तैयारियाँ की हैं, लेकिन अब खतरे के स्वरूप बदल गए हैं — अब ड्रोन, क्रूज मिसाइल, स्वार्म ड्रोन, तेज-उड़ान वाले विमान, कम ऊँचाई वाले हेलीकॉप्टर आदि जैसे उपकरणों से संभावित निशाने की आशंका है। IADWS इन्हीं प्रकार के खतरों के लिए उपयुक्त है।

  • राजधानी दिल्ली — जहाँ संवेदनशील राजनैतिक, प्रशासनिक, औद्योगिक व असैनिक अवसंरचनाएँ हैं — को इन खतरों से बचाना न सिर्फ सैद्धांतिक रूप से, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी ज़रूरी माना जा रहा है। इसलिए इसे विशेष प्राथमिकता दी गई है।

  • साथ ही, यह रक्षा कवच स्वदेशी है — यानी भारत की अपनी तकनीक और हथियार — जो “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल विदेशी निर्भरता घटाएगा, बल्कि देश की रक्षा व्यय एवं नियंत्रण पर भी बेहतर नियंत्रण देगा।


कहाँ तक — तैनाती की प्रक्रिया, समय, और आगे

  • IADWS का पहला सफल उड़ान-परीक्षण (maiden flight test) अगस्त 2025 में हुआ था। उस दौरान इसने विभिन्न प्रकार के हवाई लक्ष्य — ड्रोन, मल्टी-कॉप्टर, फिक्स्ड विंग UAVs आदि — को ट्रैक और уничтожित करके अपनी बहु-स्तरीय क्षमता दिखायी थी।

  • अब सरकार और DRDO इस प्रणाली की तैनाती के लिए तैयारी कर रही है, और पहली प्राथमिकता के तौर पर दिल्ली-NCR को चुना गया है।

  • साथ ही, यह प्रणाली लंबे समय तक बनाए रखने, निगरानी, स्केल-अप और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है। भविष्य में इसे अन्य शहरों या संवेदनशील ज़ोन में भी लागू करने की योजना हो सकती है।

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