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नेपाल में ‘Gen Z’ आंदोलन के बीच चीन की पहली प्रतिक्रिया

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नेपाल इस समय बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे और युवाओं की अगुवाई में हुए Gen Z आंदोलन ने पूरे देश को हिला दिया है। अब इस स्थिति पर चीन की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन ने नेपाल में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की है, लेकिन ओली के इस्तीफे पर उसने कोई सीधी टिप्पणी करने से परहेज़ किया है।


चीन की प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि नेपाल और चीन पारंपरिक रूप से अच्छे मित्र और पड़ोसी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि नेपाल के सभी पक्ष आपसी समझदारी से अपने मुद्दों को सुलझाएँगे और जल्द ही सामाजिक व्यवस्था बहाल करेंगे।
चीन ने नेपाल में रहने वाले अपने नागरिकों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। चीनी दूतावास ने लोगों को सतर्क रहने और अनावश्यक रूप से भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाने की सलाह दी है। साथ ही आपातकालीन सुरक्षा इंतज़ाम भी लागू कर दिए गए हैं।


ओली के इस्तीफे पर चुप्पी

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल ही में तीव्र विरोध और सड़क पर उतरे युवाओं के दबाव में इस्तीफा दे दिया। इन प्रदर्शनों की सबसे बड़ी ताकत रहे Gen Z युवा बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों से नाराज़ थे।
हालांकि, चीन ने ओली के इस्तीफे पर कोई बयान नहीं दिया। यह चीन की वही नीति दर्शाता है जिसमें वह पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों पर सीधा बोलने से बचता है, लेकिन पर्दे के पीछे अपनी भूमिका निभाता है।


नेपाल की मौजूदा स्थिति

नेपाल में हाल के हफ्तों में हालात बहुत तनावपूर्ण रहे। हजारों युवा सड़क पर उतरे और यह हमारी क्रांति है, अब हमारी बारी है” जैसे नारे लगाए। सोशल मीडिया पर पाबंदी और पुलिस कार्रवाई के बावजूद आंदोलन तेज़ होता गया, और अंततः प्रधानमंत्री ओली को पद छोड़ना पड़ा।

आंदोलन का नेतृत्व करने वाले युवाओं का कहना है कि वे सिर्फ सरकार बदलने के लिए नहीं, बल्कि प्रणालीगत बदलाव चाहते हैं। उनके मुताबिक भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता से लड़ाई जारी रहेगी।


भविष्य की चुनौतियाँ

नेपाल के सामने अब कई चुनौतियाँ हैं।

  • नई सरकार का गठन और राजनीतिक स्थिरता बहाल करना

  • युवाओं की मांगों को गंभीरता से सुनना

  • भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी से निपटने के लिए ठोस कदम उठाना

  • पड़ोसी देशों चीन और भारत के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना

इस पूरे घटनाक्रम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नज़रें टिकी हैं। खासकर चीन, जो नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहता है, लेकिन फिलहाल उसने संयमित रुख अपनाया है।

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