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भारत और रूस ने द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर मुहर लगाई, गैर-शुल्क बाधाओं को हटाने पर जोर

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भारत और रूस ने 21 अगस्त 2025 को मॉस्को में विदेश मंत्रियों—एस जयशंकर और सर्गेई लावरोव—की बैठक के दौरान द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने का संकल्प दोहराया। दोनों पक्षों ने इस साझेदारी को संतुलित और टिकाऊ बनाने की दिशा में विशेष पहल की है। इस भागीदारी में भारत की ओर से निर्यात बढ़ाने की योजना को प्रमुखता दी गई, खास तौर से फार्मास्यूटिकल, कृषि और वस्त्र क्षेत्रों में, ताकि व्यापार असंतुलन को दूर किया जा सके। इसके लिए गैर-शुल्क (टैरिफ) और नियामक बाधाओं को जल्द हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

बैठक के दौरान उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में भी बातचीत हुई। साथ ही भारत की आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग प्रतिभा को रूस में रोजगार अवसरों तक जोड़ने पर चर्चा की गई, ताकि दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा किया जा सके।

ऊर्जा सहयोग भी प्रमुख एजेंडे में शामिल था। दोनों देशों ने तेल और ऊर्जा संसाधनों के आदान-प्रदान को स्थिर बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई।

यह वार्ता उस पृष्ठभूमि में हुई जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल के आयात को लेकर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाए थे। इस कदम के बीच भारत और रूस ने अपने संबंधों की मजबूती को प्रदर्शित किया। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के सबसे स्थिर रिश्तों में से एक रहे हैं। इस साझेदारी को भू-राजनीतिक सहक्रिया, नेतृत्व संपर्क और जन भावनाओं ने आगे बढ़ाया है।

बैठक में आतंकवाद से निपटने, वैश्विक शासन सुधार (जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना), और दोनों देशों की रणनीतिक प्रक्रियाओं पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने लड़ते भारतीयों का मामला भी उठाया जिन्हें रूसी सेना में भर्ती किया गया था, और इनके शीघ्र समाधान की उम्मीद जताई।

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