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“हरित शिपिंग से अंतरिक्ष सहयोग तक: पीएम मोदी व लॉरेंस वोंग के बीच 5 प्रमुख समझौतों का नया अध्याय”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की मुलाकात ने भारत-सिंगापुर संबंधों को एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया है। 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता के बाद पाँच अहम समझौतों (MOUs) पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों का मकसद न सिर्फ़ द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना है बल्कि वैश्विक स्तर पर हरित विकास, डिजिटल वित्त, कौशल विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में नई राहें खोलना भी है।

इन समझौतों में सबसे अहम है ग्रीन और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर का निर्माण, जो पर्यावरण अनुकूल ईंधन और आधुनिक डिजिटल समाधान को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, डिजिटल एसेट इनोवेशन पर भी सहमति बनी, जिससे भारत और सिंगापुर के बीच वित्तीय लेनदेन और अधिक सुगम और सुरक्षित हो सकेगा। नागरिक उड्डयन प्रशिक्षण एवं अनुसंधान समझौता दोनों देशों की विमानन अवसंरचना को और मज़बूत करेगा। इसी के साथ, कौशल विकास पर जोर देते हुए चेन्नई में एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग का “नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जहाँ सेमीकंडक्टर्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन से जुड़े कोर्स शुरू किए जाएंगे। वहीं, अंतरिक्ष उद्योग सहयोग के तहत भारत और सिंगापुर मिलकर स्पेस टेक्नोलॉजी और उपग्रह प्रक्षेपण में नई संभावनाएँ तलाशेंगे।

वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) का रोडमैप भी अपनाया, जो आठ प्रमुख क्षेत्रों जैसे– अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, रक्षा, डिजिटलाइजेशन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित है। इसी मौके पर PSA इंटरनेशनल द्वारा संचालित मुंबई कंटेनर टर्मिनल (फेज़ 2) का भी वर्चुअल उद्घाटन किया गया, जो भारत की बंदरगाह क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है।

इन समझौतों से यह स्पष्ट है कि भारत और सिंगापुर अपनी साझेदारी को केवल व्यापार तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि तकनीक, हरित विकास और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसे बहुआयामी बना रहे हैं। यह सहयोग दोनों देशों को न सिर्फ़ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बल्कि वैश्विक मंच पर भी और मज़बूत स्थिति दिलाएगा।

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