
भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते (Trade Agreement) को लेकर अहम प्रगति हुई है। मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर (Keir Starmer) के बीच हुई ऐतिहासिक मुलाकात में दोनों देशों ने आर्थिक, निवेश, रक्षा और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इस बैठक को दोनों देशों के रिश्तों में “नई दिशा देने वाला क्षण” माना जा रहा है।
- आर्थिक साझेदारी और निवेश में बड़ा कदम
बैठक के दौरान भारत की 64 प्रमुख कंपनियों ने ब्रिटेन में 1 बिलियन पाउंड (करीब 11,800 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की। इस निवेश से ब्रिटेन में लगभग 7,000 नई नौकरियाँ सृजित होने की उम्मीद है। यह निवेश भारत के आईटी, ऑटोमोबाइल, फार्मा और ग्रीन एनर्जी सेक्टर से जुड़ा है।
ब्रिटिश सरकार ने इस समझौते को “India-backed growth story” बताते हुए कहा कि यह ब्रिटेन की मंदीग्रस्त अर्थव्यवस्था को गति देने में अहम भूमिका निभाएगा।
- रक्षा और रणनीतिक सहयोग
बैठक में रक्षा सहयोग को लेकर भी महत्वपूर्ण वार्ता हुई। ब्रिटेन ने भारत को अपनी नई तकनीक से बनी “लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल” (Martlets) देने का प्रस्ताव रखा है। यह मिसाइल 13 किलोग्राम वजन की है और 6 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है। यह कदम दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को नई मजबूती देगा।
भारत ने ब्रिटेन को अपने रक्षा उद्योगों में निवेश के अवसरों की पेशकश की है ताकि “Make in India” पहल के तहत संयुक्त उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
- शिक्षा और अनुसंधान में सहयोग
बैठक में शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी अहम घोषणा हुई। ब्रिटेन के 9 शीर्ष विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने कैंपस खोलने की योजना का ऐलान किया है। इससे उच्च शिक्षा, शोध और नवाचार के नए अवसर खुलेंगे।
इसके अलावा, दोनों देशों ने स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम और डिजिटल स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को और मजबूत करने का निर्णय लिया है।
- कूटनीतिक संकेत और वैश्विक महत्व
ब्रिटेन ने भारत को लेकर एक बड़ा संकेत देते हुए कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के लिए तैयार है।
इस पहल को भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और आर्थिक शक्ति की मान्यता के रूप में देखा जा रहा है। बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“भारत और ब्रिटेन के रिश्ते समानता, पारदर्शिता और आपसी विश्वास पर आधारित हैं। यह साझेदारी 21वीं सदी की नई जरूरतों को पूरा करेगी।”
- चुनौतियाँ और आगे की दिशा
हालांकि यह समझौता अभी प्रारंभिक चरण में है। कई बिंदुओं पर तकनीकी और कानूनी रूप से चर्चा जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील अगर पूरी होती है तो भारत को ब्रिटेन के बाजारों में टैरिफ में छूट, निर्यात वृद्धि, और नए निवेश अवसर जैसे बड़े लाभ मिल सकते हैं।
साथ ही, ब्रिटेन को भारत जैसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार तक सीधी पहुंच मिलेगी, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घकालिक लाभ होगा।