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“भारत ने तुर्की को दिया सख्त संदेश: सेलेबी की सुरक्षा मंज़ूरी रद्द, यूनिवर्सिटियों और व्यापार में भी करार तोड़े”

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Tags (English):
India, Turkey, Celebi Airport Services, BCAS, National Security, Ground Handling, Jamia, JNU, Turkish Apples Ban, Academic Ties, Maulana Azad Urdu University, Trade Ban, Turkish Products, India-Turkey Relations, Pakistan Turkey Alliance


📰 विस्तृत रिपोर्ट:

नई दिल्ली, 15 मई 2025:
भारत ने तुर्की को लेकर एक के बाद एक सख्त कदम उठाते हुए अब उसे कई मोर्चों पर झटका देना शुरू कर दिया है। जहां एक ओर भारत सरकार ने तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी ‘सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज़ इंडिया प्रा. लि.’ की सुरक्षा मंज़ूरी रद्द कर दी, वहीं दूसरी ओर देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों और व्यापारियों ने भी तुर्की से संबंध तोड़ने का निर्णय लिया है।


🔐 सेलेबी की सुरक्षा मंज़ूरी खत्म

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने तुर्की की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज़ को दी गई सुरक्षा मंजूरी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। यह कंपनी दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा और कोचीन जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम करती थी। आदेश में कहा गया है कि यह निर्णय “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में” लिया गया है।

इस फैसले का सीधा असर भारत में तुर्की की कंपनी की गतिविधियों पर पड़ेगा, और यह संदेश स्पष्ट है: भारत अब विदेशी कंपनियों की मौजूदगी को उनकी सरकारों के रुख के आधार पर परखेगा।


🎓 जेएनयू, जामिया और अन्य यूनिवर्सिटियों ने तोड़े तुर्की से संबंध

सिर्फ सरकारी एजेंसियां ही नहीं, देश की शीर्ष यूनिवर्सिटियां भी अब तुर्की से दूरी बना रही हैं:


🍎 तुर्की के सेब का व्यापारिक बहिष्कार

अब तुर्की को व्यापारिक मोर्चे पर भी भारत से झटका मिल रहा है।
फल विक्रेताओं और व्यापारियों ने तुर्की से सेब मंगवाना बंद कर दिया है। कई खुदरा विक्रेता भी अब तुर्की का माल खरीदने से साफ इनकार कर रहे हैं।


🛡️ राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम अंतरराष्ट्रीय संबंध

भारत का यह बहुआयामी रुख — सुरक्षा, शिक्षा और व्यापार के मोर्चे पर — यह दिखाता है कि अब विदेश नीति सिर्फ कूटनीतिक बैठकों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उसका प्रभाव जमीनी स्तर पर देखा जाएगा।

🔚 निष्कर्ष:

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और देशहित सर्वोपरि है। चाहे वह विदेशी कंपनियों की उपस्थिति हो, विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक संबंध हों या आयातित फल — हर क्षेत्र में अब “देश पहले” की नीति अपनाई जा रही है। तुर्की के लिए यह एक सख्त संदेश है: अगर आप भारत विरोधी ताकतों का साथ देंगे, तो भारत हर स्तर पर जवाब देगा।

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