
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता अंतिम चरण में होने के बावजूद कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अनिर्णित शुल्कों के कारण यह अटका हुआ है। निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं में इसमें प्रमुख जानकारी बताई जा रही है:
प्रमुख कारण—कृषि और डेयरी सेक्टर
- भारत की अर्थव्यवस्था का केवल लगभग 16 प्रतिशत कृषि‑आधारित है, लेकिन यह देश की आधी आबादी के रोज़गार का आधार है। अतः कृषि को लेकर पक्षपातपूर्ण नीति का राजनीतिक जोखिम भी बहुत ज्यादा है ।
- अमेरिकी कृषि मानकों तथा सब्सिडी सहित उल्टी खेती पद्धतियाँ भारतीय किसानों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक दबाव पैदा करेंगी, जिससे स्थानीय कीमतों में गिरावट और राजनीतिक गुस्सा पैदा होने की आशंका है ।
डेयरी क्यों बनी ‘रेड लाइन’
- भारत में डेयरी उत्पादन छोटे स्तर पर होता है—प्रति किसान केवल एक-दो गाय, जबकि अमेरिका में औसतन सैकड़ों पशु हैं।
- भारत ने डेयरी, बटर व पाउडर पर 30–60 प्रतिशत तक आयात शुल्क कायम रखा हुआ है; अमेरिकी पक्ष इसे घटाने के लिए दबाव बना रहा है ।
- भारत ने चेतावनी दी है कि डेयरी और कृषि क्षेत्र में कोई समझौता नहीं होगा जो स्थानीय किसानों के हितों को चोट पहुँचाए ।
अन्य विवादित उत्पाद
- अमेरिकी पक्ष मकई, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, पशु-चारा, और जेनोटिक मॉडिफाइड तिलहन मसलों की भारतीय बाज़ार में पहुंच चाहता है, जबकि भारत इन्हें दूध सुरक्षा, किसान हित और खाद्य संप्रभुता को खतरा मानता है ।
- उदाहरण के लिए, जेनोटिकली मॉडिफाइड सोयाबीन और मकई पर भारत ने अभी तक प्रतिबंध लगाया है और अमेरिकी उत्पादों से मुकाबला करने में किसानों को कठिनाई होती है ।
स्टैंड ऑफ और राजनीतिक असर
- भारत जुलाई 9 की अमेरिकी समय सीमा से पहले समझौता पूरा करना चाहता था, लेकिन विदेश व्यापार मंत्री ने स्पष्ट कहा कि किसी भी “डीललाइन” की परवाह किये बिना, अगर किसानों की रक्षा ना हो, तो समझौता नहीं होगा ।
- अमेरिका ने चेतावनी दी है कि समझौता न होने पर वह भारतीय निर्यात पर 26 प्रतिशत तक का जवाबी शुल्क लगाने पर विचार कर सकता है ।
संभावित प्रभाव
- ग्राम्य कृषि और डेयरी रोजगार में कमी: लाखों छोटे किसान और डेयरी पर निर्भर लोग प्रभावित होंगे, यदि अमेरिकी सब्सिडीयुक्त कृषि उत्पाद आ गए तो।
- खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में धक्का: इथेनॉल मिश्रण योजना और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला खतरे में आ सकती हैं ।
- इंडस्ट्रियल और कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र लाभान्वित: कुछ विशेष अमेरिकी कृषि-प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे वनस्पति प्रोटीन, नट्स, डेयरी इनग्रेडिएंट्स में भारत आंशिक रियायत दे सकता है—जिससे व्यापार संतुलन सुधारने में मदद मिलेगी ।
इस प्रकार, कृषि और डेयरी सेक्टर में बनी अनसुलझी सहमति ने bilateral trade deal को जटिल बना दिया है, और भारत अपनी खाद्य और किसान हितों की रक्षा करते हुए समझौते की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार है।