पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में अमेरिका में एक बयान देकर भारत के खिलाफ परमाणु हमले की धमकी दी। उनका कहना था कि यदि भारत सिंधु नदी पर बांध बनाएगा तो पाकिस्तान “दस मिसाइलों से उसे गिरा देगा।” यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर पहले से ही तनाव गहरा चुका है।
इस धमकी का भारत की ओर से कड़ा जवाब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिया। उन्होंने किसानों के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा—
“पड़ोसी और अमेरिका से परमाणु गीदड़ भभकी मिल रही है, लेकिन भारत डरने वाला नहीं है। पूरी दुनिया कान खोलकर सुन ले, सिंधु जल समझौता अब खत्म हो चुका है और हमारा पानी हमारे किसानों के खेतों में जाएगा।”
सिंधु जल समझौते की पृष्ठभूमि
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को और रावी, ब्यास तथा सतलज का पानी भारत को आवंटित किया गया था। दशकों तक यह समझौता दोनों देशों के बीच जल विवाद को सीमित रखने का आधार रहा।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के आतंकवाद प्रायोजन और सीमा पर तनाव के चलते भारत में इस संधि की समीक्षा की मांग तेज हुई।
भारत का रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने हाल ही में इस समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की थी, जिसके बाद भारत अब पश्चिमी नदियों के अपने हिस्से के पानी का अधिकतम उपयोग करने की योजना बना रहा है। इसमें नए बांध, सिंचाई परियोजनाएं और जलविद्युत उत्पादन शामिल हैं।
शिवराज सिंह चौहान का बयान इसी नीति की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि भारत का पानी अब बेकार पाकिस्तान नहीं जाएगा, बल्कि भारतीय किसानों की सिंचाई और कृषि उत्पादन को बढ़ाने में लगाया जाएगा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय पहलू
जनरल आसिम मुनीर की धमकी के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय और कुछ नेताओं ने भारत से ‘संयम’ बरतने की अपील की है। वहीं, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।
भारत की ओर से साफ कर दिया गया है कि यह उसका संप्रभु अधिकार है और अपने हिस्से के पानी का उपयोग अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौतों के तहत करेगा।