
21 जून 2025 को 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत में ऐतिहासिक बना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के आरके बीच से ‘कॉमन योगा प्रोटोकॉल’ के साथ कार्यक्रम का नेतृत्व किया। इस वर्ष की थीम “वन अर्थ, वन हेल्थ“ थी, जो मानव स्वास्थ्य और पृथ्वी की भलाई के बीच संतुलन को दर्शाती है।
इस विशाल आयोजन में करीब 3 से 5 लाख लोगों ने भाग लिया। 26.5 किलोमीटर लंबे तटरेखा पर बने 1,000 से अधिक जोन में प्रतिभागियों को व्यवस्थित किया गया था। सुरक्षा के लिए 8,000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती रही।
पूर्वी नौसेना कमान के 11,000 से अधिक सैनिकों ने समुद्र और तट पर योग किया। छह नौसेना और दो कोस्ट गार्ड जहाजों पर समुद्र में योगाभ्यास आयोजित किया गया।
‘योगांध्र-2025’ नामक महीने भर चले अभियान के तहत राज्यभर में 1 लाख से अधिक प्रशिक्षक तैयार किए गए और 3.5 लाख योगा मैट तथा 5 लाख टी-शर्ट वितरित किए गए। इस अभियान का उद्देश्य योग को जनता के बीच जनांदोलन बनाना था।
देशभर में 1 लाख से अधिक स्थानों पर योग संगम आयोजित हुए और 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। वहीं 60 से अधिक देशों में भारतीय दूतावासों के सहयोग से योग दिवस मनाया गया, जिसमें 40 देशों के प्रतिनिधि विशाखापत्तनम भी पहुंचे।
पीएम मोदी ने योग को “मानवता के लिए विराम बटन” बताया और आह्वान किया कि विश्व नीतियों को आंतरिक शांति के मूल से निर्देशित किया जाना चाहिए। एम्स समेत कई संस्थानों की रिसर्च का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि योग हृदय, मस्तिष्क, महिलाओं और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में अत्यधिक प्रभावी है।
इस आयोजन को ‘योग फॉर ह्यूमैनिटी 2.0’ की शुरुआत माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य है योग को शिक्षा, स्वास्थ्य और वैश्विक नीति में स्थायी रूप से शामिल करना। कार्यक्रमों को पर्यटन स्थलों, धरोहर स्थलों और मंदिरों में आयोजित कर सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने की भी पहल हुई।
इस तरह, 2025 का योग दिवस न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक स्वास्थ्य, शांति और सांस्कृतिक एकता का संदेश बनकर उभरा।